Sunday, 3 April 2016

नयी bike और मेरी आपबीती

नयी bike और मेरी आपबीती

Accelerator दबाये सवारी पे अपनी
चले जा रहे थे खुमारी में अपनी
नयी गाडी का नशा ही कुछ और था
Speed और road का मज़ा ही कुछ और था

सबको अपनी नयी bullet दिखाए जा रहे थे
road पे अपनी बादशाहत जमाये जा रहे थे
शूमाकर को अपना चेला बताये जा रहे थे
दुनिया को ठोकर में उड़ाए जा रहे थे

लड़कियों को देख चमकाए जा रहे थे
चुलबुल पाण्डेय को भी style सिखाये जा रहे थे
Market में अपना value बढ़ाये जा रहे थे
गुरुर में हवा को भी slow बताये जा रहे थे

तभी सामने एक मोड़ था
और वहां खड़ा एक कुत्ता हरामखोर था
बचते बचाते Balance कुछ यूँ गड़बड़ाया
दो चार हड्डी चटका और चरमराया

खबर चारो ओर फैली
फजीहत हुयी और कुर्ता हुयी मैली
कुल मिला के एक पाठ पाया
सावधानी हटी, दुर्घटना घटी
#roadaccident #bikeaccident #drivecarefully #hasyayang #हस्यवंग

©अमित कुमार पाण्डेय

वो

वो ताकती रहीं दुर से मुझे
मैं भी एक टक था
मोहब्बत और आशिक़ी दोनों बदस्तुर था
उन्हें लगा होगा कोई आशिक़ है उनके हुस्न का
पर मैं तो अपने गर्दन के दर्द से मजबूर था !!

Wednesday, 30 March 2016

God vs Human

ईश्वर ही पूर्ण मानव बन सकता है क्योंकि वो पाने के लिए नहीं बल्कि होने के लिए अवतरित होता है। बाकि मानव मानव नहीं बन पता क्योंकि वो भगवान् बनने को आतुर है! 
Only God can play the best human because He  knows all that a human being is . Rest all the men and women can't become human because all are busy  trying to achieve God who is already available in them

Amit kr pandey

Monday, 21 March 2016

Thanks friends

Let me wishper
A thanks in your ear
for the wishes
your heart feels for me...

Let me reflect
A thanks to your eyes
Which has a sprinkle
To see me dazzle

Let me convey
A thanks to your mind
Which holds me to you
To complete my identity

Let me induce
A thanks to your senses
For touching me with
Your electrifying wishes

Let me say
A thanks to your soul
Which knows me
As yet another presence of yours!

          Thank you my lovely friends and Loves!😊🎂 for making my day on this birthday !!!

©Amitkumarpandey
#birthday

Wednesday, 16 March 2016

भारत माता की जय !!

भारत माता जय हो तेरी
तू जननी संतान हम तेरी
जय का हो उद्घोष निरंतर
यश गान हो हर पल तेरी !

हिमालय है तेरा ऊँचा माथा
सागर चरण पखारे
मेघराज शीतलता देते
पवनदेव हैं पंखे झाले !

रंगो की रंगोली सी तू
पल पल प्यारी लागे
किसी कवि कि कल्पना जैसी
तेरी छवि मनोरम लागे !!

काया है तेरी कंचन जैसी
मिट्टी क्यों न सोना उगले
देख तेरा ये चामत्कार
बालक मन मेरा हर्षे !!

गंगा है तेरी प्यास बुझाती
महावृष्टि से तू है नहाती
पंछी तुझको गीत सुनाते
और , सभ्यता सुनाते कहानी !!

देव -भूमि कह पुकारी जाती
स्वर्ग देख तुझे ललचाये
ऋषि और महामुनियों की माता तू
स्वयं विधाता से आदर पाए !

पा तेरी मिट्टी की ख़ुश्बू
भगवन्ता भी न रुक पाये
तेरी ममता की छाँव पाने को
अवतरित हो भू पर आए!

योगेश्वर अविनाशी  शिव् शंभु
ध्यान यहाँ लगाय
सती के पति कैलाश पति बन
धर्म का पाठ पढ़ाये!

क्या फर्क पड़ जाये तुझको
यदि कुछ मृत प्राय न बोलें जय हो तुझको
राम ,परशुराम ,कृष्ण ,महावीर, बुद्ध ,नानक है बेटे तेरे
नभ् में देवताओँ के हाथों यश पताका हैं फहरे तेरे।

©अमित कुमार पाण्डेय
#bharatmatakijay  #deshdroh #sedition

Tuesday, 8 March 2016

जयचंद के वंसज ! सावधान

सोचता था जयचंद की
तू एक बीती बात है
पर आज देख , पाता हूँ
तेरा वंश फिर तैयार है !!
तेरे वंशजो में आज भी
अंश भर न अंतर मिला
स्व विनाश के खातिर
तैयार और अधिक तत्पर मिला !
नीच स्वार्थ आज भी इतना बलिष्ठ
सोच इतनी छोटी और घृणित
मिल जाये बस एक छुद्र जीत
चाहे हो बर्बाद भारत विशिष्ट !
तेरे कुकृत्य को भूले पड़े हैं
या, मुख को ये मोड़े खड़े हैं
पर ,इतिहास सब जानता है
तेरा पाप पहचानता है !!
तेरे वंश याद कर लें
उस शेर चौहान को
अंतिम हिन्दू शासक
दिल्ली के तख्तो ताज को !
हिन्द अपना था सारा
सिंधु के उस पर तक
गर्जन सुनाई देती थी
हिन्दू कुष के पार तक
भूखे ,अत्याचारी  भेड़ियों से
भारत को अभय प्राप्त था
राम राज्य की खुशहाली न सही
पर, गुलाम न जीवन काल था।।
अब याद कर लो
उस तराइन के युद्ध मैदान को
सन् 1191 की साल को
और उस शेर की दहाड़ को!
भागा था वो लुटेरा  (मोहह्म्मद घोरी)
प्राण अपना बचा कर,
भारत की पवित्र भूमि में
अभिमान अपना दफना कर।
हिम्मत न थी उसे अब
भारत की और देखने की
पर ,जयचंद वो तेरा सहारा पा गाया
लूटेरा फिर आक्रमणकारी बन कर आ गया!
वही तराइन का मैदान था
सन् 1192 का साल था
तेरी इकट्ठे की फ़ौज पर
फिर भी वो भारी पड़ा था ।
लेकिन तुझ में पराक्रम कहाँ था
शहादत को पा सके वो दम कहाँ था
झूठ और अफ़वाह का सहारा लिया
शेरे हिन्द का हनन किया !
पर नहीं वो हत्या एक राजा मात्र की थी
भारत के गौरव और अभिमान की थी
हत्या संस्कृति और सम्मान की थी
भारत के आस्था और विश्वास की थी
मौत न सिर्फ चौहान का हुआ था
आज़ाद हर इंसान का हुआ था
जीत तेरी छुद्र ही थी
क्योंकि परतंत्र पूरा हिंदुस्तान हुआ था!   (गुलामी को न्योता दिया था! !!)
तेरे वंसजो को आज मैं
सावधान करता हूँ
भविष्य के गुलामी से
आगाह करता हूँ !!
©अमित कुमार पाण्डेय
#JNU #SEDITION #deshdroh
#battle of Tarain

Saturday, 27 February 2016

अस्तित्व के प्रश्न !

अस्तित्व-
नहीं जनता हूँ मैं कौन?
पर साँसे मुझ में भी चलती है
और जीवन के कई विविध रूप
मेरे होंने में दिखती है

हूँ मैं कौन ?कहाँ से आया?
हूँ क्यों ज़िंदा ?, मुर्दों से अलग
किसकी इक्छा हूँ?
हूँ किसकी परछाई?

क्यों है पलते अरमान?
और क्यों सपने मैं बुनता हूँ?
क्या है और पाने को?
किस ओर निरंतर चलता हूँ?

चेतना-  
कहते हैं ! ये मृत्यु लोक है
सब लीला करने आते है
अदृश्य के हाथों की कठपुतली
हम सब नाचे जाते हैं!

कहते हैं! हमारे होने में
उसका ही होना है
जीवन के सब रूपों में
वही अभिव्यक्त होता है

और ये इक्छा भी उसकी है
ये चलना भी उसका है
तथा इस भव्य मंच पर
चल रहा नाटक भी उसका है!

रही बात सपनों की
तो वो प्राणी का  बल है
नूतन पथ का खोज करें वो
निज का ही कल्याण करे।

अस्तित्व
-ये अदृश्य कौन है?, चाहता क्या है?
कुछ समझ मुझे न आता है
मेरे जीवन लीला से
उसको फर्क कहाँ क्या आता है?

सब जान बुझ कर भी
क्यों हम से लीला करवाता है?
मेरे अंदर होकर भी
फिर, मुझ से जुदा नजर क्यों आता है?

चेतना-
कहते हैं ये परम पुरुष है
सब कुछ जानने वाला है
परमपिता है किन्तु अदृश्य
पर दृश्य दिखाने वाला है

उसको चाह नहीं
परम साक्षी भाव है वह।
ब्रह्माण्ड में विस्तृत शून्यता का
परम शून्य आधार है वह !

परम चेतना है ये
तेरे भीतर -बहार रहता है
मोह का बंधन तोड़ के देख
साक्षत्कार अभी कर सकता है।

.....continued

© अमित कुमार पाण्डेय

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