Sunday 18 August 2013

मै कौन हुआ ?

मैं की खोज part  1 

मै कौन हुआ ? 

© amit kr pandey


मै कौन हुआ ? मै कौन हुआ ?
 है सवाल ये तेरा -मेरा।
है सवाल ये कल का - आज का। 
सवाल है ये तेरे आस्तित्व का 
डर मत, सबल कर खुद को और 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 1
                  तन पाकर दुनिया में आना 
                  "नाम " पाकर बाकी भुल जाना 
                   पा पहचान रस्में निभाता हुआ 
                     कर सवाल मै कौन हुआ ? 2
निष्छल, निर्दोष , पवित्र 
तम से दुर 
स्वछन्द  अभिव्यक्त होता  हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 3
  स्वप्नशील, बाज़ीगरी से विस्मित 
   उत्सुक , उत्कंठित 
    दौडने को तैयार होता हुआ  
    कर सवाल मै कौन हुआ ? 4
कर ताकतवर , भुजा विशाल
प्रचंड ऊर्जा से पुरावार
सपनों से टकराने को तैयार  होता  हुआ
 कर सवाल मै कौन हुआ ? 5

 खुशी से तर बतर , संतुष्टी में घुला हुआ
  उपलब्धियों से विस्मित , अपने  में मग्न हुआ
 कौन है जो सफल हुआ ?
कर सवाल मै कौन हुआ ? 6
डरा हुआ।  पिछे  छुटा हुआ।
अपनी दुनिया  में ही छिपा हुआ
है कौन जिस से  तु डरा हुआ ?
 कर सवाल मै कौन हुआ ? 7
 विषमतायों पर लड़ता हुआ
चुनौतियों  पर अकड़ता हुआ
निर्भयता कों चुनौती देता
कर सवाल मै कौन हुआ ? 8
मन हारा , सिर झुका हुआ
सहमा ,अंधेरे  में डूबा हुआ
घबराया ,दिल से टुटा हुआ
 कर सवाल मै कौन हुआ ? 9
                  साधना -पथ  पर सधा हुआ
                  अडिग , अविचल , अटल , अचल
                  कर्तव्य पथ पर डटता हुआ
                    कर सवाल मै कौन हुआ ?10
दुनिया रस में डूबा हुआ
 ज्ञान बोध से दूर हुआ
रंगीनियों में भुला हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 11
 सबका चहेता , सबका माना हुआ
सब का दुलारा 
 चहु ओर से अपनाया हुआ
 कर सवाल मै कौन हुआ ?12
                       तिरस्कृत, ठुकराया हुआ 
                              छुअन से मरहूम 
                           दुर्भाग्य से अपनाया हुआ 
                          कर सवाल मै कौन हुआ ? 13
सत पथ पर डटा हुआ
मर्यादा में निरत, धर्म- ध्वज रक्षक
मानवता का अनुयायी हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 14
पथ भ्रष्ट, धर्म से च्युत हुआ 
कलंक की कालिख में कलुषित 
अपने आप से दूर हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 15
शांति को अपनाने वाले
ईश्वर की  ख़ोज में जाने वाले
वैरग्य , योग , मोक्ष में लक्षित हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 16  
विध्वंश घोर मचाने वाले
मानवता को डरवाने वाले
निर्लजिता से भि न लज्जित हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 17
युक्ति नया सिखलाने वाले
पथ नया बना ने  वाले
मानस का प्रणेता होता  हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 18
सुख की छाओं में पलने वाले
मखमल पर चलने वाले
खुशीयों से प्रफुल्लित होता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 19
अभाव बिच झुलने वाले
दुःख की दोपहरी में जलने वाले
निरुत्साहित , हताश होता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 20
नव कला दिखाने वाले 
जादूगरी सिखलाने वाले 
श्रेष्ठाता नित् नया रचता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 21
सौन्दर्य से अंजान
बारीकियों से दूर
बेपरवाह होता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 22
ज्ञान-गंगा में डूबा हुआ
 स्वयं में स्थित 
सत्य से बोधित होता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 23
प्रेम की वंशी बजाने वाले
नित् रास नया रचने वाले
सुध - बुध  खोता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 24
नफरत की आग़ में जलने वाले 
इर्ष्या - द्वेष बीच पलनेवाले 
नित् नया  सड़यन्त्र  रचता हुआ 
  कर सवाल मै कौन हुआ ? 25
प्रगती पथ पर जाने वाले
उत्थान गीत गुनगुनाने वाले
विकाश का परचम लहराता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 26
सब कुछ पाकर  खोने वाले 
अवनति मार्ग पर होने वाले 
बेबश और लाचार होता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 27
रोटी रोज कमाने वाले
पसीना रोज बहाने वाले
खून का कतरा जलाता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 28
कौड़ी की कीमत करने वाले
पर उपकार  पर पलने वाले
माँगे पर जीने वाले
पेट को भुख से भरता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 29
अधिकता में पलने वाले
आवश्यकता से ज्यादा निगलने  वाले
मितव्ययता के पार जाता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 30
सवाल नया उठाने वाले
राह नया सुझाने वाले
कुरीतियों पर कुठाराघात करता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 31
परम्परा में बहने वाले
पंक्ति में चलने वाले
रुढियों में ढलने वाले
धर्म- भीरु ! विवेकशुन्य  होता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 32
लिंग , धर्म , देश , जाति ,वर्ण  में बटा हुआ
अपनों के भेद से अलग हुआ
रोज नयी क्यारियाँ काटता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 33
अपनत्व का पाठ पढ़ाने वाले
सबको गले लगाने
एक सुत  में पिरोता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 34
चुनौतियों  से टकराने वाले 
रोमाँच की चाह जगाने वाले 
ध्यान आकर्षित करता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 35
मुश्किलों  से खेलने वाले
विपतियों को धकलने वाले
स्वाद सफलता का चखता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 36
आफत से डर जाने वाले 
प्राण की जान बचाने वाले 
ओट में छिपता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 37
ख़ुद की पहचान बनाने वाले
करतब अलग दिखलाने वाले
अचरज में सबको डालता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 38
नाम अपना खोने वाले 
अपमान पर रोने वाले 
आसूँ बहाता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 39

जिन्दगी सुखद बनाने वाले
प्यार की चाह जगाने वाले
प्रेम लुटाता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 40
रिश्तों में आग लगाने वाले 
नफरत में प्यार झुलसाने वाले 
आशियानों को उजाड़ता  हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 41
पर्वत बिच राह बनाने वाले
सम्मान जगत से पाने वाले
भीड़ में अलग दिखता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 42
विपति से घबराने वाले 
रण में पीठ दिखने वाले 
कायरता को परिभाषित करता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 43
दान की गंगा बहाने वाले
सर्वस्य परहित हेतु लुटाने वाले
प्यासे की प्यास बुझता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 44
संहिता की रक्षा करने वाले 
संविधान को गढ़ने वाले 
संसार को चरित्र की ज्योति से ज्जवलयमान करता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 45
अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले
दुश्मन को भी अपनाने वाले
विरोध का अंतर मिटा ता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 46
जीवन का व्रत पालने वाले 
सच्चाई की अधरों पर विष प्याला रखने वाले 
मृत्यु को ललकारता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 47
शुली पर प्राण गँवाने
क्षमा -दान दिलवाने वाले
पाप मुक्त सबको करता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 48
असुरता को हराने वाला 
सुरत मध्य जगाने वाला 
न्याय की सत्ता स्थापित करता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 49
अस्थियों का दान करने वाले
ख़ुद को बलिदान करने वाले
त्रास सबों का हरता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 50
सुख अपना भुलाने वाले 
दया -धर्म  अपनाने वाले
शुश्रूषा से प्रीति जगाने वाले 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 51
पाखंड की दूकान वाले
धर्म की आड़ वाले
भेष -नकली सजाता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 52
मन शान्त ,साफ चित वाले 
निश्छल ,पवित्र दिल वाले 
परमानन्द से साक्षातकार करता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 53
आस्था में सेंध लगाने वाले
अधर्म को धर्म की चादर ओढ़ाने वाले
स्वांग सच्चाई का करता हुआ
कर सवाल मै कौन हुआ ? 54
पल में रंग बदलने वाले 
मासूमियत को छलने वाले 
विश्वास पर घात करता हुआ 
कर सवाल मै कौन हुआ ? 55

सब कि  सेवा करने करने  वाले
कष्ट सबों के हरने वाले
सुखद अनुभूति करने वाले
कर सवाल मै कौन हुआ ? 56

मैं की खोज करने वाले
स्वयं की और बढ़ने वाले
निजता से  साक्षात्कार करता हुआ
जानता जा तू कौन हुआ 57





मैं की खोज - part  2

अस्तित्व के प्रश्न !

अस्तित्व-
नहीं जनता हूँ मैं कौन?
पर साँसे मुझ में भी चलती है
और जीवन के कई विविध रूप
मेरे होंने में दिखती है
हूँ मैं कौन ?कहाँ से आया?
हूँ क्यों ज़िंदा ?, मुर्दों से अलग
किसकी इक्छा हूँ?
हूँ किसकी परछाई?
क्यों है पलते अरमान?
और क्यों सपने मैं बुनता हूँ?
क्या है और पाने को?
किस ओर निरंतर चलता हूँ?
चेतना-  
कहते हैं ! ये मृत्यु लोक है
सब लीला करने आते है
अदृश्य के हाथों की कठपुतली
हम सब नाचे जाते हैं!
कहते हैं! हमारे होने में
उसका ही होना है
जीवन के सब रूपों में
वही अभिव्यक्त होता है
और ये इक्छा भी उसकी है
ये चलना भी उसका है
तथा इस भव्य मंच पर
चल रहा नाटक भी उसका है!
रही बात सपनों की
तो वो प्राणी का  बल है
नूतन पथ का खोज करें वो
निज का ही कल्याण करे।
अस्तित्व
-ये अदृश्य कौन है?, चाहता क्या है?
कुछ समझ मुझे न आता है
मेरे जीवन लीला से
उसको फर्क कहाँ क्या आता है?
सब जान बुझ कर भी
क्यों हम से लीला करवाता है?
मेरे अंदर होकर भी
फिर, मुझ से जुदा नजर क्यों आता है?
चेतना-
कहते हैं ये परम पुरुष है
सब कुछ जानने वाला है
परमपिता है किन्तु अदृश्य
पर दृश्य दिखाने वाला है
उसको चाह नहीं
परम साक्षी भाव है वह।
ब्रह्माण्ड में विस्तृत शून्यता का
परम शून्य आधार है वह !
परम चेतना है ये
तेरे भीतर -बहार रहता है
मोह का बंधन तोड़ के देख
साक्षत्कार अभी कर सकता है।






1 comment:

  1. my dear readers are requested to give their valuable feedback

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