Friday 30 September 2016

56 inch

छप्पन इंची सीने पर गर्व बहुत आज होता है
भारत का नेतृत्व  कुछ ऐसा ही होता है !!

छप्पन इंची सीने की अब ताकत दिखाई देती है
कूटनीति और कूट देने की नीति में विजय दिखाई देती है !

छप्पन इंची सीने पर आज देश निछावर लगता है
कुछ ऐसे ही कारनामों से वीर वीर दिखाई देता है !!

छप्पन इंची सीने पर आज भरोसा आता है!
माँ भारती के हर बेटों का सीना चौड़ा लगता है !!

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Tuesday 27 September 2016

Co passenger

चेहरे पर हल्की मुस्कान हो
उसके कई सवाल हो
आँखों में मस्ती हो
और,थोड़ी परेशान सी वो बंदी हो!!

हम जैसा मददगार हो
उसका दिल मेहरबान हो
व्यक्त उसका आभार हो
मुझ पे दिल कुर्बान हो !!

सफ़र भर का इश्क़ हो!
खूबसूरती और modernity का mix हो
गले पड़ने का न कोई risk हो
ऐसा ही हमसफर (co passenger हर बार हो!!
©Amit kr pandey

Monday 19 September 2016

अब और नहीं !!

#Enough silence kills the soul
हाथों में गीता लिए फ़िरते हो क्यों
जब डरना है परमाणु से !!
"आत्मा अजर अमर है" कहते हो क्यों
जब सहम जाते हो शैतानों से

कृष्ण ने गीता नहीं सुनाई
राजनीती पे भेंट चढ़ जाने को
कृष्ण ने गीता नहीं सुनाई
भजन बना गुनगुनाने को !!

गीता  धर्म शास्त्र नहीं
सिर्फ़ शांति से जीने वालों का
गीता मार्गदर्शक भी है
अकुलाई मानवता का !!

पीढ़ियाँ गुज़र गईं ,सदियाँ बदल गईं
बाहरी आक्रमणकारीयों से मातृभूमि लहूलुहान हुई
उनकी फेकी चिंगारियों से कब तक अपने घर को जलने देंगे
क्या उन लपटों को बुझा बुझा कर ही सुख से घर में बैठेंगे ??

क्या सिर्फ राम का मंदिर हम बनवायेंगे??
या , उनका गौरव आगे भी ले जायेंगे
अगर घर में घुस कर मार न पाए
ख़ाक रामभक्त कहलायेंगे !!

क्या हर हर महादेव का
केवल जयकारा ही हम लगाएंगे?
या नेत्रों में क्रोध भरकर 
दुश्मन को लहकायेंगे??

प्रश्न नहीं है सत्ता से सिर्फ
प्रश्न है पुरे भारतवासी से
जीने का यही ढंग रहा तो
दफ्न हो जाओगे  कश्मीर की घाटी में !!

क्रुद्ध कर,युद्ध कर..... on all fronts...millitary.... economic, diplomatic....  social...whatever....

Our Development also kills Pakistan and china everyday..... We will kill... but we will not become a Rouge nation like Pakis....

©अमित कुमार पाण्डेय
amit kumar pandey

Avenged on 29.09.16 #modi punishes pak #surgical strike

Sunday 18 September 2016

#Indiatolerates #Enoughisenough

कल राजे रजवाड़ों में बटे थे, आज पार्टीयों में ।
कल मुस्लिम कबीलों का हमला झेलते थे, आज मुस्लिम आतंकवादियों का
कल जयचंद थे, आज बरखा हैं
कल पृथ्वीराज था, आज मोदी है।
But this attitude of we as a nation continues....
#We are not tolerating them for 50 years... its 500 years.... 

Friday 16 September 2016

Freedom from presstitutes

Recently on debate of beef, so called seculars or better known as pseudo secular came out with argument that government or society can't dictate someone on the kind of food that should be cooked in one's kitchen. As these are bigger institutions and occupy themselves with development. True. Accepted.

By same logic... Ishwar/God/Allah is the apex authority for entire universe. Why should they be least bothered about what you eat then?. Why should they send prophets or messengers to tell you what to eat?....... #Fake Seculars

Thursday 15 September 2016

Secularism

In my opinion  true secularism means an spiritual eco system in which one can openly ask , raise doubt, question any tradition ,practice of any religion and in turn can be questioned. For example A Hindu can question Muslim.. Christian... Buddhist.. principles..traditions.. ways of worship... etc...in any tone and manner...and  in turn a Hindu too can be questioned in any manner.

An environment where there is open interaction between individuals ...no matter...what is the motto... even initiated to hurt others belief.... Because if GOD or Prophets cannot be hurt or there is no way disrespect can be caused to them  by mortal humans. There is no use or absurd to fight for that.

Only in an open interactive society there can be true unity between men. But alas... we believe in silently and blindly respecting others blind belief just for sake of false PEACE.
- AMIT KR PANDEY

Sunday 11 September 2016

Twitter पर बद्नाम

सुना है आज कल twitter पर
एक नया नौटंकी आया है
मोदी मोदी रटते रटते
सारा इल्जाम लगाता है!

आरोप लगाना काम है इनका
बातें ऊँची ऊँची हैं
ईमान के रखवाले है ये
लोकतंत्र की कश्में खाते हैं ।

सब चोर बने इनकी नज़रों में
हाथ में सारे सबूत इकठ्ठे थे
लोगों की आकांक्षाओं के
ये परम संयासी राजा थे !!

पर,जहाँ खड़ा हो महत्वाकांक्षा
संन्यास कहाँ रह जाता है
आँखों में सत्ता के सपनें हो तो
ईमान कहाँ रह जाता है ??

लोकतन्त्र में  इनकी  महिमा थी
सो कूद पड़े ये यमुना में
जीत भी सुनिश्चित हुई
मुख्यमंत्री पद से युक्त हुए।

पर, लोगों की आकांक्षाओं को
ये और भुनाना चाहते थे
मुख्यमंत्री से संतुष्ट न हो
प्रधानमंत्री की कुर्सी चाहते थे

सत्ता की इसी लोभ ने
इनको पागल कर डाला था
लोकतंत्र की महासमर में
जब कशी में लंगोट उतरा था !!

सबक मिली फिर भी न सुधरे
कुछ ज्यादा ही खूंखार हुए
मोदी मोदी रटते रटते
Twitter पर बद्नाम हुए !!

© amit kumar pandey

Thursday 1 September 2016

कुछ अल्फाज़

कुछ अल्फाज़  ऐसे मिल जाते
लिखते लिखते हम बस विचार हो जाते
भावना हृदय से कुछ ऐसे निकलती
गंगोत्री से गंगा जैसे है मचलती !! (जैसे है प्रवाहित)

शब्दों का न कोई रोक होता
भाषा का न कोई टोक होता
भय से न मेरे हाथ रुकते
उन्मुक्त हो पन्तियों ,छन्दों में हम विचरते !!

लघुता न हमारे आड़े आती
अस्तित्व सुक्ष्म -विराट  के दर्शन कराती
समाज का ,धारणा का न कोई अवरोध होता
परम हमारा जोश होता!!

वो गीत होंठो पर ऐसे आ जाते
गाते गाते हम बस संगीत हो जाते
अहसास  दिल में कुछ ऐसे उमड़ती
महासागर में लहरें जैसे हैं उफनती !

बुद्धि कुछ ऐसी करामात करती
नयी सोच  ,कुछ नया  सूझ  से हमारा साक्षात्कार करती
भावना कुछ ऐसी सघन हो जाती
घनाघोर घटा के भाँति शब्दों में बरस जाती !!

सब झोंक कर हम रिक्त हो जाते
ऐसा कुछ रच कर अमित हो जाते (अंनंत हो जाते)
सच् में ही स्वयं से हम पूर्ण हो जाते
त प्रतिशत आनंदस्वरूप हो जाते !!

© अमित कुमार पाण्डेय

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