भारत माता जय हो तेरी
तू जननी संतान हम तेरी
जय का हो उद्घोष निरंतर
यश गान हो हर पल तेरी !
हिमालय है तेरा ऊँचा माथा
सागर चरण पखारे
मेघराज शीतलता देते
पवनदेव हैं पंखे झाले !
रंगो की रंगोली सी तू
पल पल प्यारी लागे
किसी कवि कि कल्पना जैसी
तेरी छवि मनोरम लागे !!
काया है तेरी कंचन जैसी
मिट्टी क्यों न सोना उगले
देख तेरा ये चामत्कार
बालक मन मेरा हर्षे !!
गंगा है तेरी प्यास बुझाती
महावृष्टि से तू है नहाती
पंछी तुझको गीत सुनाते
और , सभ्यता सुनाते कहानी !!
देव -भूमि कह पुकारी जाती
स्वर्ग देख तुझे ललचाये
ऋषि और महामुनियों की माता तू
स्वयं विधाता से आदर पाए !
पा तेरी मिट्टी की ख़ुश्बू
भगवन्ता भी न रुक पाये
तेरी ममता की छाँव पाने को
अवतरित हो भू पर आए!
योगेश्वर अविनाशी शिव् शंभु
ध्यान यहाँ लगाय
सती के पति कैलाश पति बन
धर्म का पाठ पढ़ाये!
क्या फर्क पड़ जाये तुझको
यदि कुछ मृत प्राय न बोलें जय हो तुझको
राम ,परशुराम ,कृष्ण ,महावीर, बुद्ध ,नानक है बेटे तेरे
नभ् में देवताओँ के हाथों यश पताका हैं फहरे तेरे।
©अमित कुमार पाण्डेय
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