सोचता था जयचंद की
तू एक बीती बात है
पर आज देख , पाता हूँ
तेरा वंश फिर तैयार है !!
तू एक बीती बात है
पर आज देख , पाता हूँ
तेरा वंश फिर तैयार है !!
तेरे वंशजो में आज भी
अंश भर न अंतर मिला
स्व विनाश के खातिर
तैयार और अधिक तत्पर मिला !
अंश भर न अंतर मिला
स्व विनाश के खातिर
तैयार और अधिक तत्पर मिला !
नीच स्वार्थ आज भी इतना बलिष्ठ
सोच इतनी छोटी और घृणित
मिल जाये बस एक छुद्र जीत
चाहे हो बर्बाद भारत विशिष्ट !
सोच इतनी छोटी और घृणित
मिल जाये बस एक छुद्र जीत
चाहे हो बर्बाद भारत विशिष्ट !
तेरे कुकृत्य को भूले पड़े हैं
या, मुख को ये मोड़े खड़े हैं
पर ,इतिहास सब जानता है
तेरा पाप पहचानता है !!
या, मुख को ये मोड़े खड़े हैं
पर ,इतिहास सब जानता है
तेरा पाप पहचानता है !!
तेरे वंश याद कर लें
उस शेर चौहान को
अंतिम हिन्दू शासक
दिल्ली के तख्तो ताज को !
उस शेर चौहान को
अंतिम हिन्दू शासक
दिल्ली के तख्तो ताज को !
हिन्द अपना था सारा
सिंधु के उस पर तक
गर्जन सुनाई देती थी
हिन्दू कुष के पार तक
सिंधु के उस पर तक
गर्जन सुनाई देती थी
हिन्दू कुष के पार तक
भूखे ,अत्याचारी भेड़ियों से
भारत को अभय प्राप्त था
राम राज्य की खुशहाली न सही
पर, गुलाम न जीवन काल था।।
भारत को अभय प्राप्त था
राम राज्य की खुशहाली न सही
पर, गुलाम न जीवन काल था।।
अब याद कर लो
उस तराइन के युद्ध मैदान को
सन् 1191 की साल को
और उस शेर की दहाड़ को!
उस तराइन के युद्ध मैदान को
सन् 1191 की साल को
और उस शेर की दहाड़ को!
भागा था वो लुटेरा (मोहह्म्मद घोरी)
प्राण अपना बचा कर,
भारत की पवित्र भूमि में
अभिमान अपना दफना कर।
प्राण अपना बचा कर,
भारत की पवित्र भूमि में
अभिमान अपना दफना कर।
हिम्मत न थी उसे अब
भारत की और देखने की
पर ,जयचंद वो तेरा सहारा पा गाया
लूटेरा फिर आक्रमणकारी बन कर आ गया!
भारत की और देखने की
पर ,जयचंद वो तेरा सहारा पा गाया
लूटेरा फिर आक्रमणकारी बन कर आ गया!
वही तराइन का मैदान था
सन् 1192 का साल था
तेरी इकट्ठे की फ़ौज पर
फिर भी वो भारी पड़ा था ।
सन् 1192 का साल था
तेरी इकट्ठे की फ़ौज पर
फिर भी वो भारी पड़ा था ।
लेकिन तुझ में पराक्रम कहाँ था
शहादत को पा सके वो दम कहाँ था
झूठ और अफ़वाह का सहारा लिया
शेरे हिन्द का हनन किया !
शहादत को पा सके वो दम कहाँ था
झूठ और अफ़वाह का सहारा लिया
शेरे हिन्द का हनन किया !
पर नहीं वो हत्या एक राजा मात्र की थी
भारत के गौरव और अभिमान की थी
हत्या संस्कृति और सम्मान की थी
भारत के आस्था और विश्वास की थी
भारत के गौरव और अभिमान की थी
हत्या संस्कृति और सम्मान की थी
भारत के आस्था और विश्वास की थी
मौत न सिर्फ चौहान का हुआ था
आज़ाद हर इंसान का हुआ था
जीत तेरी छुद्र ही थी
क्योंकि परतंत्र पूरा हिंदुस्तान हुआ था! (गुलामी को न्योता दिया था! !!)
आज़ाद हर इंसान का हुआ था
जीत तेरी छुद्र ही थी
क्योंकि परतंत्र पूरा हिंदुस्तान हुआ था! (गुलामी को न्योता दिया था! !!)
तेरे वंसजो को आज मैं
सावधान करता हूँ
भविष्य के गुलामी से
आगाह करता हूँ !!
सावधान करता हूँ
भविष्य के गुलामी से
आगाह करता हूँ !!
©अमित कुमार पाण्डेय
#JNU #SEDITION #deshdroh
#battle of Tarain
#JNU #SEDITION #deshdroh
#battle of Tarain
Sab sale ek vote ki khatir bike hue h
ReplyDeleteRight
ReplyDeleteभाई अब थोडा छोटा लिखो। लिखते तो अच्छा हो ही उसको कम शब्द में व्यक्त करो अब।
ReplyDeleteHahaha.... time nahi hai na teray pass i knw
Deleteइसका #CAA CITIZENSHIP AMENDMENT ACT 2019 का विरोध करनेवालों का से कोई लेना देना नही है
ReplyDelete