Thursday, 21 March 2019

जीवन के संघर्ष

जीवन कोई संघर्ष नहीं
फिर भी है ये संघर्ष भरा
जीवन कोई दुःख दर्द नही
फिर भी है ये कष्टों से भरा
जीवन एक विराट सत्य है
शाश्वत से इसका नाता है
जीवन स्वयं में परम पूर्ण
ईश्वर का ये अभिलाषा है !
संसार है किंतु संघर्ष का नाम
जीवन भी संघर्ष यहाँ
रोजी रोटी और मकान
के लिए बिक रहा यहाँ इंसान
रिश्ते भी बिक जाते हैं
अपने गैर बन जाते है
अजब गजब का खेल दिखाती
जीवन यहाँ हमें है जुझाती !!
किन्तु तुम हिम्मत रखना
धैर्य से मुसीबत को मिलना
साहस को हथियार बनाना
बुद्धि ,विवेक से उसे हराना !!
जीत तुम्हारी हो के रहेगी
हार भी तुम्हें ने "चुभ " के छुयेगी
कर्तव्य बस यहाँ है निभाना
जीतना जरूरत उतना भर ही करते जाना
जीवन का परम लक्ष्य सामने हो
उसका उत्कर्ष सामने हो
शाश्वत से न कभी तेरा साथ छूटे
जीवन भी तुझ से मिल के जी उठे !!

Universe .. swamit swarit

ब्रह्माण्ड बड़ा ही अद्भुत है
कहते है ! ईश्वर का ये मुहूर्त रूप है
स्थान समय का यह गढ़जोड
पहेली है यह परम विजोड़।
निकल नही पाता इसका कोई एक निचोड़
सन्नाटे से अनन्त में फैला ये
विराट सूर्यों और ग्रहों का घर ये !!
करोड़ों नक्षत्रो और उपग्रहों को समेटे
अंधकार और प्रकाश को है ये एक साथ बिखेरे !
सब गतिमान हैं , सब चल रहे
स्वयं से संचालित कैसे ये हो रहे?
कोई कहता भगवान की लीला
कोई कहता स्वयं से सब है खिला !
वेद पुराण और गीता का ज्ञान
कहता इसे ईश्वर का निः स्वार्थ काम
कहते है सब कर्म भोगने आते है
या , स्वयं को जानने का अवसर पाते है!
विज्ञान ने भी किये कई अनुशंधान
खोल रहा इसके कुछ गूढ़ ज्ञान
ऊर्जा का ये परम स्रोत
हो रहा प्रगट, हो रहा विस्फोट
सारा फैलाव इस ऊर्जा का रूप
अचेतन जगत को कर रहा है मूर्त E =mc2
पर, चेतना का क्या है मूल?
नही जानते हम कर रहे क्या भूल।
सब जन्म कहाँ से पाते है ?
फिर, लौट कहाँ को जाते है?
सब जो दिख रहा मात्र एक माया है ?
या , ब्रह्माण्ड ही एक मात्र काया है??
प्रश्न कई सतायेंगे
उत्तर तुम्हें तुम्हारी चेष्ठा से मिल जायेंगे 
एक दिन ब्रह्माण्ड का रहस्य हम जान पाएँगे 
समय के गर्त में सब उत्तर मिल जायेंगे !

Sunday, 24 February 2019

AMAR BHARAT - अमर भारत




                                          अमर भारत

भारत एक कहानी है ,सदियों से भी पुरानी है
नहीं जानते कब से है ,हिमालय है तब से है 
कहते है , पुराण पुरुष महाकाल शिव रहते थे 
भारत को अभय का आशीष वही देते थे !

भारत  एक संस्कृति बना  ,
भगवान की सुंदर कृति बना 
 ब्रह्मा से बेदों का जन्म हुआ ,
योगेश्वर से योग उपस्थित  हुआ  

ज्ञान -विज्ञान के द्वार खुलने लगे  
लोग अपने विकास से खिलने लगे 
पर ,पनपने लगे कुछ अत्याचारी 
मानवता के लिए वो हुए भारी 

पर जब जब हुए वो भारी 
रक्षा करने को आये त्रिपुरारी 
काली ,दुर्गा ,परशुराम ,राम , कृष्ण ,महावीर ,बुद्ध 
कर के गए इस धरती को शुद्ध !

पर,बातें हुए ये बहुत पुरानी 
हम सब भूल गए ,समझने लगे कहानी 
नहीं अब ये इतिहास का हिस्सा है 
पर ,भारत के गौरव का सच्चा किस्सा है

लेकिन, सच्चाई कभी मिटती नहीं
दर्पण पर धूल कभी टिकती नहीं
आसमान में सितारों की गवाही है
धरती पर उनके कारनामों की निशानी है

हमारी रक्त की धार में ,
गँगा की प्रवाह में
आज भी ,श्री राम के  धनुष का झंकार    है
श्री कृष्ण की गीता गुँजायमान है

शक्ति के साथ संयम  और समझदारी
मानवता के तरफ हम सब की जिम्मेदारी
शांति के रहे हम प्राचीनतम पुजारी
सलामत है इसीलिये  ये हस्ती हमारी

-AMIT KUMAR PANDEY











Sunday, 17 February 2019

Open Letter - NPAs and Bad loans -समाज KA लालच

To,
Vijay Malaya ,Nirav modi, mehul choksi /
Big Corporates, KCC FARMERs
and small medium business entrepreneurs/
Education loan borrowers/
CHIT FUNDS/ FRAUDS

I have been working in bank and seen where people have capacity to pay and still don't pay. I have seen farmers paying big loans when taken against gold but same farmer doesn't do transaction in his all Rs 2000 KCC. Somewhere intent to pay is missing. Not paying back is becoming cooler which should not.  Do not allow your greed. If you will become corrupt you can't expect a corruption free system. Society always blame the system but don't introspect into the own self.


पूरे समाज को लालच ने पकड़ा   है
इसलिए, NPA ने बैंकों को जकड़ा है

नहीं ये फसल की बर्बादी है
नाही ये डूबती व्यवसाय की धाती है
यह तो एक कुनीति , कुसंस्कार और भ्रष्ट आचरण का प्रमाण
जो फैल रही कर्जमाफी की महामारी अब कुन्तु भयकारी है

महँगे  कर्ज तुम साहूकार से लेते हो
पर,  सस्ते तुम बैंकों को न देते हो
राजनीति की फेंकी लॉलीपॉप लपकते हो
पर, सच चुनने से तुम हिचकते हो

चाहे  हो तुम बड़े घराने
या तुम हो छोटे किसान
चाहे  हो उद्यमी भारी
या हो तुम छोटे व्यापारी

अपने आप से प्रश्न करो,
कर्ज लेकर भागने का न तुम जतन करो
पैसा ये जनता का है,
अपने आप से वचन करो

कर्ज माफी का ना तुम वरन करो
स्वछ चरित्र का चयन करो
ईमानदारी ईज्जत देती है
भिखमंगी से चैन न मिलती है

ईमान तुम अपना साफ करो
मुस्सलम हो कर नाज़ करो
हरिश्चन्द्र के तरह सुचिता से
जग में अपना नाम करो !

सत्य पर अड़े रहना हमने हरिश्चन्द्र से सीखा  था
वचन निभाने के खातिर राम ने वनों को सींचा था
कर्ण -दधीचि  की इस धरती पर तुम दान देने के आदि हो
कर्ज लेकर भागने वालों की न तुम प्रजाति हो!!

आसान नहीं ईमान है ये
पर, इंसान की यही पहचान है ये
कर्ज चुका कर तुम भी तो
भार-मुक्त, अपराध मुक्त हो जाते हो!!

बैंकों से लिया ये कर्ज , कर्ज नहीं , मंगलकामना  है
आसान सर्तो पर आपको मिली ये शुभकामना  है
तुम अगर सही से लौटाओगे
जग को आगे का रास्ता दिखलाओगे

कर्ज और सस्ते होंगे
अधिकारी भी मित्र जैसे मिलेंगे
उम्मीदों का पिटारा आप जब खोलेंगे
बैंक स्वयं आप के हित हेतु बोलेंगे !!!

Regards
©Amit kr pandey



OWN YOUR OWN GOD

Few religions on the earth exist only because they have natural citizenship. By birth you are a Hindu Baudhh, Jain, shikh, christian , muslim, jews et etc etc which should not be the case. Let a child,who is the father of man, come and let him grow up to decide what he chooses to be.

Subjecting a child to follow the religion of his parents is weird and inhuman. He should be free but not be misled. Most of the conflict which has at its base " identify" arises from this. Religion on earth has become live teams and most of the members are fighting to win as if it is a game. Worse for some it has acquired a political nature (Few religions in the past were launched to grab Powers only). Religion should not be used to unite people or refer to people for any purpose even by state even for good reasons. And same applies to caste.  This should be purely private and individual affair.

Religion is not a tool. It is a path on which human belief system and his logical ability combines to experience his own existence. Religion is absolutely about your existence. Each existence is unique and each individual different. Religion should be your own creation rather than following something without feeling for that. You can be a different Hindu in your own Hinduism. You can be a totally different Muslim in your way. You can be hybrid of many ideas. The idea is how YOU connect to the radiance which is making you appear  in life LIVE.

If we ever succeed in creating a truly democratic atmosphere where "CHOICE" is respected , we will be creating a different world , beautiful world where there will be love. Let you child choose. Let him choose his friends , his games, his study, his struggle, his life partner and the way of life he wants.
Beacuse by choices he makes he will grow . He will truly LIVE. The remote control on an individual from family, society and the State to be minimized to Nil.  This is the best we can assure our child .
This is the gift we can wrap. The GIFT OF CHOICE where one can OWN ONE'S OWN GOD
- Amit Kumar Pandey 

Saturday, 16 February 2019

Koyal ki kuhak - Real tweet

बहुत दिनों के बाद सुबह आंखों की खिड़की खोली थी
बहुत दिनों के बाद मेरे कानो में कोयल की " कुहक़ी"  थी
सुबह के नरमी के साथ प्यार वाली चुस्की थी
शरीर के हर अंगों से फुर्ती  जैसे सिहरी  थी

कोयल की इस मधुर कुहुक ने ताजेपन से नहलाया था
गंगा के तट पर जैसे पवन ने पंखा झाला था !! 
कोयल की इस मधुर कुहुक ने, कानों में मिश्री घोली थी
बसन्ती दुल्हन ने जैसे घूँघट अपनी खोली थी

 कोयल की इस मधुर कुहुक ने दिल में मृदंग बजाय था
 ग्रीष्म की  तपती धूप में जैसे शीतल जल से नहलाया था
कोयल की इस मधुर कुहुक ने मन में प्रेम स्पंदन कर डाला था
पहली  प्रेम  की  मुखड़े ने जैसे अपने नज़रों से घायल कर डाला था

कोयल की इस मधुर कुहुक को सिर्फ  कानों से न तुम पान करो
बसंती हवाओँ को हर श्वाश से उनका मान करो
उतरने दो तंद्राओ  में अपनी , जीवन को प्रस्फुटित होने दो
उमँग ,रंग से तुम खिल जाओ  ,जीवन को बसन्ती होने दो!!
©amit k pandey

Friday, 15 February 2019

शहादत - स्वयं का दान


स्वयं का दान कर
खुद को बलिदान कर 
अपनों से जुदा हो कर 
दूध-मुँहे  से नाता तोड़ कर 
पिता का साथ छोड़ कर 
माँ की आँचल से छिटक कर 
संगिनी को बेसहारा कर 
जब हस्ती तुम अपनी मिटाते  हो 
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!


अपने को ओझल कर 
साथियों को बोझल कर 
आँगन को सुना कर
 गलियों को वीरान कर 
संगियों को अलविदा  कर 
जब तुम देश पर अपने को लुटाते हो 
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!

बच्चों के  बचपन छोड़
प्रेम के पल्लू को तोड़
प्यार की निशानी छोड़
अपनी अधूरी कहानी छोड़
जब तुम वतन के लिए अपनी दुनिया उजाड़ते हो
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!

वीर ! इस  शहादत की कीमत तुम्हे ही पता है
वरना इस  भौतिकता की दुनिया में कौन किसका कहाँ है
दो  पैसे के लिए जहाँ इंसान इंसान से मुख मोड़ता है
वहाँ स्वयं की आहुति कोई बिरला ही खोजता है 

हमारी रक्षा  की कीमत जो तुमने चुकाई है
अपनी घर की खुशी को भी हवन में जलाई है
यह बात  विदित रहे देश के कर्णधारों को
तुम्हारे अपनों पर निछावर करें देश के टकसालों को !!

In the honour of OUR CRPF ... IN HONOUR OF OUR FORCES
-© Amit Kr Pandey

The blood of soldiers











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