Friday, 15 February 2019

शहादत - स्वयं का दान


स्वयं का दान कर
खुद को बलिदान कर 
अपनों से जुदा हो कर 
दूध-मुँहे  से नाता तोड़ कर 
पिता का साथ छोड़ कर 
माँ की आँचल से छिटक कर 
संगिनी को बेसहारा कर 
जब हस्ती तुम अपनी मिटाते  हो 
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!


अपने को ओझल कर 
साथियों को बोझल कर 
आँगन को सुना कर
 गलियों को वीरान कर 
संगियों को अलविदा  कर 
जब तुम देश पर अपने को लुटाते हो 
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!

बच्चों के  बचपन छोड़
प्रेम के पल्लू को तोड़
प्यार की निशानी छोड़
अपनी अधूरी कहानी छोड़
जब तुम वतन के लिए अपनी दुनिया उजाड़ते हो
वीर ! तुम ही शहीद कहलाते हो !!

वीर ! इस  शहादत की कीमत तुम्हे ही पता है
वरना इस  भौतिकता की दुनिया में कौन किसका कहाँ है
दो  पैसे के लिए जहाँ इंसान इंसान से मुख मोड़ता है
वहाँ स्वयं की आहुति कोई बिरला ही खोजता है 

हमारी रक्षा  की कीमत जो तुमने चुकाई है
अपनी घर की खुशी को भी हवन में जलाई है
यह बात  विदित रहे देश के कर्णधारों को
तुम्हारे अपनों पर निछावर करें देश के टकसालों को !!

In the honour of OUR CRPF ... IN HONOUR OF OUR FORCES
-© Amit Kr Pandey

The blood of soldiers











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