ब्रह्माण्ड बड़ा ही अद्भुत है
कहते है ! ईश्वर का ये मुहूर्त रूप है
स्थान समय का यह गढ़जोड
पहेली है यह परम विजोड़।
निकल नही पाता इसका कोई एक निचोड़
कहते है ! ईश्वर का ये मुहूर्त रूप है
स्थान समय का यह गढ़जोड
पहेली है यह परम विजोड़।
निकल नही पाता इसका कोई एक निचोड़
सन्नाटे से अनन्त में फैला ये
विराट सूर्यों और ग्रहों का घर ये !!
करोड़ों नक्षत्रो और उपग्रहों को समेटे
अंधकार और प्रकाश को है ये एक साथ बिखेरे !
विराट सूर्यों और ग्रहों का घर ये !!
करोड़ों नक्षत्रो और उपग्रहों को समेटे
अंधकार और प्रकाश को है ये एक साथ बिखेरे !
सब गतिमान हैं , सब चल रहे
स्वयं से संचालित कैसे ये हो रहे?
कोई कहता भगवान की लीला
कोई कहता स्वयं से सब है खिला !
स्वयं से संचालित कैसे ये हो रहे?
कोई कहता भगवान की लीला
कोई कहता स्वयं से सब है खिला !
वेद पुराण और गीता का ज्ञान
कहता इसे ईश्वर का निः स्वार्थ काम
कहते है सब कर्म भोगने आते है
या , स्वयं को जानने का अवसर पाते है!
कहता इसे ईश्वर का निः स्वार्थ काम
कहते है सब कर्म भोगने आते है
या , स्वयं को जानने का अवसर पाते है!
विज्ञान ने भी किये कई अनुशंधान
खोल रहा इसके कुछ गूढ़ ज्ञान
ऊर्जा का ये परम स्रोत
हो रहा प्रगट, हो रहा विस्फोट
खोल रहा इसके कुछ गूढ़ ज्ञान
ऊर्जा का ये परम स्रोत
हो रहा प्रगट, हो रहा विस्फोट
सारा फैलाव इस ऊर्जा का रूप
अचेतन जगत को कर रहा है मूर्त E =mc2
पर, चेतना का क्या है मूल?
नही जानते हम कर रहे क्या भूल।
अचेतन जगत को कर रहा है मूर्त E =mc2
पर, चेतना का क्या है मूल?
नही जानते हम कर रहे क्या भूल।
सब जन्म कहाँ से पाते है ?
फिर, लौट कहाँ को जाते है?
सब जो दिख रहा मात्र एक माया है ?
या , ब्रह्माण्ड ही एक मात्र काया है??
फिर, लौट कहाँ को जाते है?
सब जो दिख रहा मात्र एक माया है ?
या , ब्रह्माण्ड ही एक मात्र काया है??
प्रश्न कई सतायेंगे
उत्तर तुम्हें तुम्हारी चेष्ठा से मिल जायेंगे
उत्तर तुम्हें तुम्हारी चेष्ठा से मिल जायेंगे
एक दिन ब्रह्माण्ड का रहस्य हम जान पाएँगे
समय के गर्त में सब उत्तर मिल जायेंगे !
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