Monday 21 March 2016

Thanks friends

Let me wishper
A thanks in your ear
for the wishes
your heart feels for me...

Let me reflect
A thanks to your eyes
Which has a sprinkle
To see me dazzle

Let me convey
A thanks to your mind
Which holds me to you
To complete my identity

Let me induce
A thanks to your senses
For touching me with
Your electrifying wishes

Let me say
A thanks to your soul
Which knows me
As yet another presence of yours!

          Thank you my lovely friends and Loves!😊🎂 for making my day on this birthday !!!

©Amitkumarpandey
#birthday

Wednesday 16 March 2016

भारत माता की जय !!

भारत माता जय हो तेरी
तू जननी संतान हम तेरी
जय का हो उद्घोष निरंतर
यश गान हो हर पल तेरी !

हिमालय है तेरा ऊँचा माथा
सागर चरण पखारे
मेघराज शीतलता देते
पवनदेव हैं पंखे झाले !

रंगो की रंगोली सी तू
पल पल प्यारी लागे
किसी कवि कि कल्पना जैसी
तेरी छवि मनोरम लागे !!

काया है तेरी कंचन जैसी
मिट्टी क्यों न सोना उगले
देख तेरा ये चामत्कार
बालक मन मेरा हर्षे !!

गंगा है तेरी प्यास बुझाती
महावृष्टि से तू है नहाती
पंछी तुझको गीत सुनाते
और , सभ्यता सुनाते कहानी !!

देव -भूमि कह पुकारी जाती
स्वर्ग देख तुझे ललचाये
ऋषि और महामुनियों की माता तू
स्वयं विधाता से आदर पाए !

पा तेरी मिट्टी की ख़ुश्बू
भगवन्ता भी न रुक पाये
तेरी ममता की छाँव पाने को
अवतरित हो भू पर आए!

योगेश्वर अविनाशी  शिव् शंभु
ध्यान यहाँ लगाय
सती के पति कैलाश पति बन
धर्म का पाठ पढ़ाये!

क्या फर्क पड़ जाये तुझको
यदि कुछ मृत प्राय न बोलें जय हो तुझको
राम ,परशुराम ,कृष्ण ,महावीर, बुद्ध ,नानक है बेटे तेरे
नभ् में देवताओँ के हाथों यश पताका हैं फहरे तेरे।

©अमित कुमार पाण्डेय
#bharatmatakijay  #deshdroh #sedition

Tuesday 8 March 2016

जयचंद के वंसज ! सावधान

सोचता था जयचंद की
तू एक बीती बात है
पर आज देख , पाता हूँ
तेरा वंश फिर तैयार है !!
तेरे वंशजो में आज भी
अंश भर न अंतर मिला
स्व विनाश के खातिर
तैयार और अधिक तत्पर मिला !
नीच स्वार्थ आज भी इतना बलिष्ठ
सोच इतनी छोटी और घृणित
मिल जाये बस एक छुद्र जीत
चाहे हो बर्बाद भारत विशिष्ट !
तेरे कुकृत्य को भूले पड़े हैं
या, मुख को ये मोड़े खड़े हैं
पर ,इतिहास सब जानता है
तेरा पाप पहचानता है !!
तेरे वंश याद कर लें
उस शेर चौहान को
अंतिम हिन्दू शासक
दिल्ली के तख्तो ताज को !
हिन्द अपना था सारा
सिंधु के उस पर तक
गर्जन सुनाई देती थी
हिन्दू कुष के पार तक
भूखे ,अत्याचारी  भेड़ियों से
भारत को अभय प्राप्त था
राम राज्य की खुशहाली न सही
पर, गुलाम न जीवन काल था।।
अब याद कर लो
उस तराइन के युद्ध मैदान को
सन् 1191 की साल को
और उस शेर की दहाड़ को!
भागा था वो लुटेरा  (मोहह्म्मद घोरी)
प्राण अपना बचा कर,
भारत की पवित्र भूमि में
अभिमान अपना दफना कर।
हिम्मत न थी उसे अब
भारत की और देखने की
पर ,जयचंद वो तेरा सहारा पा गाया
लूटेरा फिर आक्रमणकारी बन कर आ गया!
वही तराइन का मैदान था
सन् 1192 का साल था
तेरी इकट्ठे की फ़ौज पर
फिर भी वो भारी पड़ा था ।
लेकिन तुझ में पराक्रम कहाँ था
शहादत को पा सके वो दम कहाँ था
झूठ और अफ़वाह का सहारा लिया
शेरे हिन्द का हनन किया !
पर नहीं वो हत्या एक राजा मात्र की थी
भारत के गौरव और अभिमान की थी
हत्या संस्कृति और सम्मान की थी
भारत के आस्था और विश्वास की थी
मौत न सिर्फ चौहान का हुआ था
आज़ाद हर इंसान का हुआ था
जीत तेरी छुद्र ही थी
क्योंकि परतंत्र पूरा हिंदुस्तान हुआ था!   (गुलामी को न्योता दिया था! !!)
तेरे वंसजो को आज मैं
सावधान करता हूँ
भविष्य के गुलामी से
आगाह करता हूँ !!
©अमित कुमार पाण्डेय
#JNU #SEDITION #deshdroh
#battle of Tarain

Saturday 27 February 2016

अस्तित्व के प्रश्न !

अस्तित्व-
नहीं जनता हूँ मैं कौन?
पर साँसे मुझ में भी चलती है
और जीवन के कई विविध रूप
मेरे होंने में दिखती है

हूँ मैं कौन ?कहाँ से आया?
हूँ क्यों ज़िंदा ?, मुर्दों से अलग
किसकी इक्छा हूँ?
हूँ किसकी परछाई?

क्यों है पलते अरमान?
और क्यों सपने मैं बुनता हूँ?
क्या है और पाने को?
किस ओर निरंतर चलता हूँ?

चेतना-  
कहते हैं ! ये मृत्यु लोक है
सब लीला करने आते है
अदृश्य के हाथों की कठपुतली
हम सब नाचे जाते हैं!

कहते हैं! हमारे होने में
उसका ही होना है
जीवन के सब रूपों में
वही अभिव्यक्त होता है

और ये इक्छा भी उसकी है
ये चलना भी उसका है
तथा इस भव्य मंच पर
चल रहा नाटक भी उसका है!

रही बात सपनों की
तो वो प्राणी का  बल है
नूतन पथ का खोज करें वो
निज का ही कल्याण करे।

अस्तित्व
-ये अदृश्य कौन है?, चाहता क्या है?
कुछ समझ मुझे न आता है
मेरे जीवन लीला से
उसको फर्क कहाँ क्या आता है?

सब जान बुझ कर भी
क्यों हम से लीला करवाता है?
मेरे अंदर होकर भी
फिर, मुझ से जुदा नजर क्यों आता है?

चेतना-
कहते हैं ये परम पुरुष है
सब कुछ जानने वाला है
परमपिता है किन्तु अदृश्य
पर दृश्य दिखाने वाला है

उसको चाह नहीं
परम साक्षी भाव है वह।
ब्रह्माण्ड में विस्तृत शून्यता का
परम शून्य आधार है वह !

परम चेतना है ये
तेरे भीतर -बहार रहता है
मोह का बंधन तोड़ के देख
साक्षत्कार अभी कर सकता है।

.....continued

© अमित कुमार पाण्डेय

Saturday 13 February 2016

Deshdroh -Sedition

How much does it require a human being to stoop low to become so able as to curse the nation , the very pride of being a human in this world divided by boundaries? How much corrupt and fake does one become so as to conspire to cut  the very arm that feed one?  How much degree of education does one need to become  shrewd, rouge and  cunning so as to abuse the motherland? How much intelligence one need to gather so as to be branded intellectual of #JNU?

     I am asking this questions to myself and all who had glitter in their eyes -the glitters of innocent dream to see one's nation awakening in the heaven of prosperity ,happiness and justice . To achieve those dreams,we try everything to be capable to be recognized to make a difference in the making of this wonderful nation and be apart of glory. We look towards delhi- heaven for all dreams. To be educated  in Delhi.  Because it is unthinkable for a simple rustic man to even conspire with opponents in a game at village level ....And the art to conspire and scream against own nation can't be taught everywhere. It has to be in some premier institutions.

As infancy unfolds into childhood the world we had was a wonderful place. We had dreams to grow big oneday or someday . We make so many promises to ourselves . The people who are at the helm of affairs be they President  ,PM,Ministers , Important People of society -bankers teachers,doctors ,engineers and bureaucrats all look no less than God. We all have a role model to emulate. But we grow up only to find that the people we had worshiped are so vulnerable . The values were only limited to books . In the name of" being practical" the values ,that makes a man,  are hidden behind the cosmetic face of men of today. But Inspite of thousands of weeds, there always blossomed a few roses that filled the garden of our disordered nation with fragrance. The fragrance again gives to the buds a reason...a dream to blossom into a beautiful flower. But what happened in JNU is the poisoning of BUDS? The craziness to destroy the very garden...the misled dream to be a weed.
     And we must know how to weed out?

-Amit kr Pandey.....

  My nation is a very personal matter to me and for that i wouldn't mind getting personal.

Friday 12 February 2016

अक्षय की लुगाई

भाईयों जिसका हमें था इंतज़ार
वो घडी आ गई
दोस्तों में एक कुंवारे को
लुगाई मिल गई !!            ठोको ताली

उसके चेहरे पे चमक है
मन में फुट रहे हैं लड्डू
पहचानो उसका नाम
नहीं तो हो तुम कद्दू!!

उसके है अरमान पुराने
हो एक बीबी प्यारी सी
माँ पाप और उस कद्दू से
प्यार करें दुनिया भर की

उसके हैं अंदाज़ निराला
धौंस जमाता रहता है
जब देखो तब
"कर " पर नजर गड़ाये रहता है😢

लेकिन नहीं वो अति उत्साही
धीरज धर कर रहता है
इंतज़ार किया है उसने उसका
"प्रतीक्षा " का फल पाया है !!!






Wednesday 10 February 2016

Realisation in Love दिल के एहसास


दिल के  एहसास

दिल के मखमली एहसास
कागज पे उतार दूँ
तू कहे ! तो ऐ नाजनी
छंदों में तुझे सवांर दूँ

चाँद की चांदनी से
तुझ को नहला दूँ
तू कहे ! तो ऐ मल्लिका-ए-हुस्न
चाँद तारों को तेरी कदमों में  बिछा दूँ!!

ख़ाबों के अनंत फूल
राहों में सजा दूँ
तू कहे ! तो ऐ दिल-ए-बहार
गुलिस्ता को तेरा आशियाना बना दूँ!

नब्ज़ की हर धड़कन से
तुझे राग अलग सुना दूँ
तू कहे ! तो ऐ  दिल-ए-सुकून
तुझे गीत नया सुना दूँ।।।

© By Amit kumar pandey
अमित कुमार पाण्डेय

Featured post

मै कौन हुआ ?

मैं की खोज part  1  मै कौन हुआ ?  © amit kr pandey मै कौन हुआ ? मै कौन हुआ ?  है सवाल ये तेरा -मेरा। है सवाल ये कल का - आज क...