कल राजे रजवाड़ों में बटे थे, आज पार्टीयों में ।
कल मुस्लिम कबीलों का हमला झेलते थे, आज मुस्लिम आतंकवादियों का
कल जयचंद थे, आज बरखा हैं
कल पृथ्वीराज था, आज मोदी है।
But this attitude of we as a nation continues....
#We are not tolerating them for 50 years... its 500 years....
स्वमीत - Being own friend. Exposure to the self @ THE AMIT OF TIMES !! We are nothing but manifestations of our thoughts.
Sunday, 18 September 2016
#Indiatolerates #Enoughisenough
Friday, 16 September 2016
Freedom from presstitutes
Recently on debate of beef, so called seculars or better known as pseudo secular came out with argument that government or society can't dictate someone on the kind of food that should be cooked in one's kitchen. As these are bigger institutions and occupy themselves with development. True. Accepted.
By same logic... Ishwar/God/Allah is the apex authority for entire universe. Why should they be least bothered about what you eat then?. Why should they send prophets or messengers to tell you what to eat?....... #Fake Seculars
Thursday, 15 September 2016
Secularism
In my opinion true secularism means an spiritual eco system in which one can openly ask , raise doubt, question any tradition ,practice of any religion and in turn can be questioned. For example A Hindu can question Muslim.. Christian... Buddhist.. principles..traditions.. ways of worship... etc...in any tone and manner...and in turn a Hindu too can be questioned in any manner.
An environment where there is open interaction between individuals ...no matter...what is the motto... even initiated to hurt others belief.... Because if GOD or Prophets cannot be hurt or there is no way disrespect can be caused to them by mortal humans. There is no use or absurd to fight for that.
Only in an open interactive society there can be true unity between men. But alas... we believe in silently and blindly respecting others blind belief just for sake of false PEACE.
- AMIT KR PANDEY
Sunday, 11 September 2016
Twitter पर बद्नाम
सुना है आज कल twitter पर
एक नया नौटंकी आया है
मोदी मोदी रटते रटते
सारा इल्जाम लगाता है!
आरोप लगाना काम है इनका
बातें ऊँची ऊँची हैं
ईमान के रखवाले है ये
लोकतंत्र की कश्में खाते हैं ।
सब चोर बने इनकी नज़रों में
हाथ में सारे सबूत इकठ्ठे थे
लोगों की आकांक्षाओं के
ये परम संयासी राजा थे !!
पर,जहाँ खड़ा हो महत्वाकांक्षा
संन्यास कहाँ रह जाता है
आँखों में सत्ता के सपनें हो तो
ईमान कहाँ रह जाता है ??
लोकतन्त्र में इनकी महिमा थी
सो कूद पड़े ये यमुना में
जीत भी सुनिश्चित हुई
मुख्यमंत्री पद से युक्त हुए।
पर, लोगों की आकांक्षाओं को
ये और भुनाना चाहते थे
मुख्यमंत्री से संतुष्ट न हो
प्रधानमंत्री की कुर्सी चाहते थे
सत्ता की इसी लोभ ने
इनको पागल कर डाला था
लोकतंत्र की महासमर में
जब कशी में लंगोट उतरा था !!
सबक मिली फिर भी न सुधरे
कुछ ज्यादा ही खूंखार हुए
मोदी मोदी रटते रटते
Twitter पर बद्नाम हुए !!
© amit kumar pandey
Thursday, 1 September 2016
कुछ अल्फाज़
कुछ अल्फाज़ ऐसे मिल जाते
लिखते लिखते हम बस विचार हो जाते
भावना हृदय से कुछ ऐसे निकलती
गंगोत्री से गंगा जैसे है मचलती !! (जैसे है प्रवाहित)
शब्दों का न कोई रोक होता
भाषा का न कोई टोक होता
भय से न मेरे हाथ रुकते
उन्मुक्त हो पन्तियों ,छन्दों में हम विचरते !!
लघुता न हमारे आड़े आती
अस्तित्व सुक्ष्म -विराट के दर्शन कराती
समाज का ,धारणा का न कोई अवरोध होता
परम हमारा जोश होता!!
वो गीत होंठो पर ऐसे आ जाते
गाते गाते हम बस संगीत हो जाते
अहसास दिल में कुछ ऐसे उमड़ती
महासागर में लहरें जैसे हैं उफनती !
बुद्धि कुछ ऐसी करामात करती
नयी सोच ,कुछ नया सूझ से हमारा साक्षात्कार करती
भावना कुछ ऐसी सघन हो जाती
घनाघोर घटा के भाँति शब्दों में बरस जाती !!
सब झोंक कर हम रिक्त हो जाते
ऐसा कुछ रच कर अमित हो जाते (अंनंत हो जाते)
सच् में ही स्वयं से हम पूर्ण हो जाते
शत प्रतिशत आनंदस्वरूप हो जाते !!
© अमित कुमार पाण्डेय
Saturday, 6 August 2016
Happy Friendship Day
जितना दिलों में दोस्ती का अहसास हुआ
सबको एक जिगरी दोस्त से मिलाया
आपको पा के मेरा नाम भी उन बिरलों में आया !!
तुझसे आबाद है ज़िन्दगी ये दोस्ती
दोस्तों से कुछ छुपाए नहीं जाते
छु लेना दिल हाँथ मिलाने से पहले
मुश्किलों में भी उनके नाम से हँसी बरक़रार है !!
Thursday, 4 August 2016
Tablets of Enlightenment
To,
Innocent angels
बचपन में जब सच ही बच्चे थे तो बड़े होने की जिद सी थी भूतों से,कल्पनाओं से डर जो जाते थे
बड़े हो कर बड़े लोगों से,समाज से डरने लगे ! अगर ये बड़ा होना है ,तो कोई ख़ास नहीं बड़ा होना है !! और भुत कुछ नुकसान भी नहीं करते जितना हम बड़े बुजुर्ग कर जाते है अपनी हुनर ,काबिलियत, ताकत, औकात दिखाने में !
......
इश्क़ के दुश्मन हैं हज़ार
कुछ यार तो कुछ रिस्तेदार !!
.....
जिन्दगी जीने के लिए दोस्ती के नाम पर पूरा संसार नहीं चाहिए , कोई मिल जाता है ऐसा की पूरी दुनिया ही वही लगे !!
-अमित कुमार पाण्डेय
Featured post
मै कौन हुआ ?
मैं की खोज part 1 मै कौन हुआ ? © amit kr pandey मै कौन हुआ ? मै कौन हुआ ? है सवाल ये तेरा -मेरा। है सवाल ये कल का - आज क...
-
Life is a force,Life is energy unbound, With appetite to grow profound, Creates and dwells in apparatus of different shapes an...
-
मैं की खोज part 1 मै कौन हुआ ? © amit kr pandey मै कौन हुआ ? मै कौन हुआ ? है सवाल ये तेरा -मेरा। है सवाल ये कल का - आज क...
-
In the garb of people protest, democracies are being hacked, and the gangrape of democracies by extremist , over-enthusiast myopic citizen...