To,
Innocent angels
बचपन में जब सच ही बच्चे थे तो बड़े होने की जिद सी थी भूतों से,कल्पनाओं से डर जो जाते थे
बड़े हो कर बड़े लोगों से,समाज से डरने लगे ! अगर ये बड़ा होना है ,तो कोई ख़ास नहीं बड़ा होना है !! और भुत कुछ नुकसान भी नहीं करते जितना हम बड़े बुजुर्ग कर जाते है अपनी हुनर ,काबिलियत, ताकत, औकात दिखाने में !
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इश्क़ के दुश्मन हैं हज़ार
कुछ यार तो कुछ रिस्तेदार !!
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जिन्दगी जीने के लिए दोस्ती के नाम पर पूरा संसार नहीं चाहिए , कोई मिल जाता है ऐसा की पूरी दुनिया ही वही लगे !!
-अमित कुमार पाण्डेय
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