हजारों की भीड़ में दिखती तो बहुत हैं
लेकिन कौन है वो चेहरा जो अपना होगा !
बाज़ार में खड़े खरीदार तो बहुत है
पर कौन है वो जो मोल करें हमारे खुद्दारी की !
रिश्ते तो बन जाएंगे कईयों से
लेकिन जो धड़कन से जोड़ ले वो दिल कहाँ !
कई सवाल जहन में कौंधते है
और हम जवाब के लिए बस चेहरों को टटोलते हैं !!
-अमित कुमार पाण्डेय
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