Sunday 29 May 2016

ज़िन्दगी और समुंद्र की लहरें

मुश्किल होता है समझना ऐ ज़िन्दगी तुझे
तू भी इन लहरों की तरह है
कभी उफान लिए, कभी चुप चाप सी तुम
कभी कौड़ियों का खज़ाना लिए,कभी खाली सी तुम
क्या खेल है ये ?कभी मुझे भी समझा ज़रा!!

वक़्त की लहरों पर तेरा ये तिरना
कभी अपने पथिक को हौले से छु जाना
कभी तेज़ धार में दूर तक बहा ले जाना
क्या राज है ये? हमराज बन हमसे उठा ज़रा !!

- अमित कुमार पाण्डेय

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