स्वयं का उथान छोड़ जब मनुज मोह पास में बंध जाता है,
खोता है सब वो, उथान छोड़, अंध कूप में गिर जाता है ,
लगता जीवन भारी दुरूह, शरीर लास बन जाती है
अपने को ना पाने का कष्ट असहनीय वेदना बन जाती है।
इसलिए, किसी के भी पहले, स्वयं का उथान करो,
नित्य रोज जैसे भी हो स्वयं का थोड़ा उपचार करो,
कम से कम एक घंटे का रुचि अनुसार स्व-अध्ययन का योगाभ्यास करो।
स्व-अध्ययन ऐसी औषधी है ,जो हर कष्ट हर लेती है
ब्रह्म-विष्णुऔर महेश के समान कर देती है
ऐसा ही तेजोमय महापुरुष जब स्वयं सिद्ध जो है जाता है
अपने आत्मबल को प्रज्वलित कर कई लोक आलोकित कर जाता है
बन जाता स्वयं भाग्यनियन्ता और कुछ शेष नही पाने को।
हो स्वयं शुद्ध , निर्भय होकर
गिरे-कलुषित को शुद्ध कर देता है
ऐसे ही महा मानव को जग
पतित-पावन, भय-रंजन कह नित्य पूजता जाता है !
स्व-अध्ययन मणि के समान, जो चाहो मिल जाता है।
इसको पालन करने का उपाय भी सहज सिद्ध हो जाता है
हो कोई भी आयु या हो दिन की कोई वेला,
हो जाहे तुम कुबेर सरीखे ,या हो कोई रंक भिखारी सा
स्व-अध्ययन को मनन करना नित्य-कर्म के जैसे ही
बन जायेगा जीवन सफल और जीव-यात्रा सहज हो जाएगी
कोई भी राह पकड़ के चलो तुम सब सर्वोच्च की ओर ही जाएगी।।
- Amit kr pandey
Everyone must devote at least 1 hour reading whatever you like .... Even your spiritual books if you do not have anything to pursue... But READ..READ AND READ...
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