Thursday, 28 January 2021

जल जीवन है

जल से कल था,
 जल से आज है
जल ही कल है,
 जल ही जीवन है

जल जलधि है
जल नदी है
जल मेध
और,जल हिमालय की चोटी है

जल पूजा है, 
जल भक्ति है
जल ही प्रसाद 
और, जल ही  प्राण-अमृत है, 

जल अर्पण है
जल तर्पण है
जल शुद्धि है
और, जल  ही संस्कृति है

जल  धन है,
जल  शक्ति हैं
जल ऊर्जा है
और, जल ही समृद्धि है

जल भुवन है, 
जल उपवन है
जल से तन है,
जल ही सृजन है!
सच है, जल ही जीवन है !!!!

इसलिए मैं कहता हूं - 

भूमंडल का चक्र चलाता 
जल ही है जीवन को चलाता।
फूलों का खिलना हो, 
या नए कोपलों का आना,
फल सब्ज़ियों का उगना हो
 या जीव,जंतु और इंसानो का होना
जल-अमृत  से संजीत होकर,
होता जीवन साकार
और,विविध भांति लेती
प्रकृति नित नई अवतार!!!

हमारे जीवन का कोई भी पहलू जल के बिना पूरा नही है। पिने ,खाने ,स्नान करने, खेतों में अनाज उत्पादन से लेकर बड़े औद्योगिक कारखानों तक को पानी की जरूरत है। 

लेकिन आज लगभग सभी नदियां, तालाब दूषित हो gaye hain। जिस कारण पीने योग्य और इस्तेमाल में लाई जाने वाली पानी  की कमी होती जा रही है। जहाँ शुद्ध पानी अमृत है वहीं प्रदूषित पानी विष के समान है। 

हम सभी जानते है कि जल है तो कल है, बावजूद इसके जल बर्वाद किया जाता है

आखिर में दोस्तों एक ही बात बोलूँगा:-

जल है जीवन का मूल.
 इसकी बर्बादी की न करना भूल।
हम सबका होना चाहिए यही वसूल
जल संग्रक्षित तो सुरक्षित वजूद

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