Sunday, 16 December 2018

भगवान

भगवान तुम्हारी दुनिया में
हम तुमसे ही क्यूं डरते है?
सम्भावना से भरी इस दुनिया में
हम भिखमंगे से क्यूं दिखते है?!!!

डरे सहमे से हम
खुद से नजर चूराते हैं
घट घट वासी परम निवाशी
तुम्हे मन्दिर में खोजने जाते है!!

सहज ज्ञान विलुप्त हुई है
गीता भी विस्मर्ण हुई
कर्म योग और ज्ञान योग
संग भक्ति  मार्ग भी ओझल हुई!!!

सहज ज्ञान ये कहता की
साधक बनो तुम अपने पथ का
वही ईश्वर की पूजा , वही अर्चना
वही पाठ , वही उपासना!!

कर्म योग में ईश्वर ने
यही बात सिखलाई है
नियत काल और नियत आयु में
नियत कर्म बतलाई है!

जो निर्दिष्ट कर्म मिला
वही धय्य, वही पूजा है
कर्ता भाव का त्याग कर
उस कर्म को पुरा करना है

ज्ञान योग भी हम सबको
भय से मुक्त करने वाला है
ईश्वर को जानने के पश्चात
कर्म गाँठ खुल जाता है

भक्ति मार्ग भी मनुष्य को
चमत्कार  दिखलाते हैं
परम पुरुष परमात्मा को
जन जन में , कण कण में दिखलाते है

_अमित कुमार पांडेय
ईश्वर मंदिर में है। लेकिन सिर्फ मंदीर , गुरुद्वारा , चर्च या मस्जिद में नही है।  He is in your PASSION... HE is found when you are not lost. If you are lost He is not for you even in temples. To find him you have to loose yourself  in your passion... in your Passion you will have HIM... IN your success will be his Radiance of thousands of sun.

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