स्वमीत - Being own friend. Exposure to the self @ THE AMIT OF TIMES !! We are nothing but manifestations of our thoughts.
Friday, 11 November 2016
Friday, 7 October 2016
अमृता !! The nectar
कोई आश बन पुकारती अमृता यहाँ !!
उदास मत हो जिंदगी से तुम यहाँ
हँस रही है तुम्ही से वो यहाँ !!
तुम्ही से पलते हैं हर ख्याब यहाँ !!
तुम्ही से है संसार में समाँ यहाँ !!
खुदा जो तुम अपने मर्ज़ी के इस जहाँ !!
तुम्ही से छटता जब अँधेरा यहाँ !!
जब हर सवाल का स्वयं समाधान हो !!
छुपी है वो तुम्हारे ही बुराइयों में कहीं
मंथन नहीं किसी समुद्र का तुम्हें है करना
प्राणों में बह रही अमृत को तुम्हे है खोजना
©Amit kr. Pandey
Friday, 30 September 2016
56 inch
छप्पन इंची सीने पर गर्व बहुत आज होता है
भारत का नेतृत्व कुछ ऐसा ही होता है !!
छप्पन इंची सीने की अब ताकत दिखाई देती है
कूटनीति और कूट देने की नीति में विजय दिखाई देती है !
छप्पन इंची सीने पर आज देश निछावर लगता है
कुछ ऐसे ही कारनामों से वीर वीर दिखाई देता है !!
छप्पन इंची सीने पर आज भरोसा आता है!
माँ भारती के हर बेटों का सीना चौड़ा लगता है !!
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Tuesday, 27 September 2016
Co passenger
चेहरे पर हल्की मुस्कान हो
उसके कई सवाल हो
आँखों में मस्ती हो
और,थोड़ी परेशान सी वो बंदी हो!!
हम जैसा मददगार हो
उसका दिल मेहरबान हो
व्यक्त उसका आभार हो
मुझ पे दिल कुर्बान हो !!
सफ़र भर का इश्क़ हो!
खूबसूरती और modernity का mix हो
गले पड़ने का न कोई risk हो
ऐसा ही हमसफर (co passenger हर बार हो!!
©Amit kr pandey
Monday, 19 September 2016
अब और नहीं !!
#Enough silence kills the soul
हाथों में गीता लिए फ़िरते हो क्यों
जब डरना है परमाणु से !!
"आत्मा अजर अमर है" कहते हो क्यों
जब सहम जाते हो शैतानों से
कृष्ण ने गीता नहीं सुनाई
राजनीती पे भेंट चढ़ जाने को
कृष्ण ने गीता नहीं सुनाई
भजन बना गुनगुनाने को !!
गीता धर्म शास्त्र नहीं
सिर्फ़ शांति से जीने वालों का
गीता मार्गदर्शक भी है
अकुलाई मानवता का !!
पीढ़ियाँ गुज़र गईं ,सदियाँ बदल गईं
बाहरी आक्रमणकारीयों से मातृभूमि लहूलुहान हुई
उनकी फेकी चिंगारियों से कब तक अपने घर को जलने देंगे
क्या उन लपटों को बुझा बुझा कर ही सुख से घर में बैठेंगे ??
क्या सिर्फ राम का मंदिर हम बनवायेंगे??
या , उनका गौरव आगे भी ले जायेंगे
अगर घर में घुस कर मार न पाए
ख़ाक रामभक्त कहलायेंगे !!
क्या हर हर महादेव का
केवल जयकारा ही हम लगाएंगे?
या नेत्रों में क्रोध भरकर
दुश्मन को लहकायेंगे??
प्रश्न नहीं है सत्ता से सिर्फ
प्रश्न है पुरे भारतवासी से
जीने का यही ढंग रहा तो
दफ्न हो जाओगे कश्मीर की घाटी में !!
क्रुद्ध कर,युद्ध कर..... on all fronts...millitary.... economic, diplomatic.... social...whatever....
Our Development also kills Pakistan and china everyday..... We will kill... but we will not become a Rouge nation like Pakis....
©अमित कुमार पाण्डेय
amit kumar pandey
Avenged on 29.09.16 #modi punishes pak #surgical strike
Sunday, 18 September 2016
#Indiatolerates #Enoughisenough
कल राजे रजवाड़ों में बटे थे, आज पार्टीयों में ।
कल मुस्लिम कबीलों का हमला झेलते थे, आज मुस्लिम आतंकवादियों का
कल जयचंद थे, आज बरखा हैं
कल पृथ्वीराज था, आज मोदी है।
But this attitude of we as a nation continues....
#We are not tolerating them for 50 years... its 500 years....
Friday, 16 September 2016
Freedom from presstitutes
Recently on debate of beef, so called seculars or better known as pseudo secular came out with argument that government or society can't dictate someone on the kind of food that should be cooked in one's kitchen. As these are bigger institutions and occupy themselves with development. True. Accepted.
By same logic... Ishwar/God/Allah is the apex authority for entire universe. Why should they be least bothered about what you eat then?. Why should they send prophets or messengers to tell you what to eat?....... #Fake Seculars
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