Friday 7 October 2016

अमृता !! The nectar

जिंदगी जब लेती है सिसकारियाँ
कोई आश बन पुकारती अमृता यहाँ !!
कहती है -
उदास मत हो जिंदगी से तुम यहाँ
हँस रही है तुम्ही से वो यहाँ !!
किस बात से निराश हुए जाते हो
तुम्ही से पलते हैं हर ख्याब यहाँ !!
क्यों तन्हाई में तुम जिंदगी को जी रहे
तुम्ही से  है  संसार में समाँ यहाँ !!
किस फिक्र में तुम खो रहे खुद को यहाँ
खुदा जो तुम अपने मर्ज़ी के इस जहाँ !!
किस भय से डरे हुए जाते हो तुम!
तुम्ही से छटता जब अँधेरा यहाँ !!
किस बात से परेशान हो तुम यहाँ
जब हर सवाल का स्वयं समाधान हो !!
"अमृत"नहीं सागर के गहराई में कहीं
छुपी है वो तुम्हारे ही बुराइयों में कहीं
मंथन नहीं किसी समुद्र का तुम्हें है करना
प्राणों में बह रही अमृत को तुम्हे  है खोजना
©Amit kr. Pandey

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