Saturday 10 February 2018

The Valentine

To sweety
You come to me and
Shower on me you feelings
Tinkering my clam heart
Touching my disturbed thoughts
That relieves me of all the tiredness
Liberates me from all the boredom
Igniting in me some curious feelings
Propelling to take care of you
Making you feel "the queen of the world"
Resulting in your gestures
Prompting me to walk along you
Like the KING OF THE WORLD
Walking on all the paths
Chasing your wishes and dreams
Buying all the things and colours
To be decorated by you
Making our little house canvas of your act
But screening before my eyes like
The spread of your beauty
Asking me to swayed away with claps and whistles!
- By amit kr pandey

Thursday 19 October 2017

Lighting Darkness-Celebrating Deepwali

Let all the lamps 
And all the lights
And All the Source of
All the kinds 
Emit with glory 
Golden rays of light
That spread to far and wide
Cleanse all corners of darkness
Of world we thrive
And,of world that lives in us!!

Happy dipawali !! शुभ दीपावली!!

-Amit kr pandey

Sunday 16 April 2017

Individualism

खून खौलता है सुन सुन कर
बात ये बहुत पुरानी हुई
पर,राष्ट्रवाद पर व्यक्तिवाद की
ग्रहण है हर युग में छाई!!

Saturday 31 December 2016

HAPPY NEW YEAR 2017

नई साल हो
नई बात हो
नई उमँग
नई सौगात हो !!

चेहरे की रौनक़ नई हो
होंठो की हँसी नई हो
आँखों में सपना नया हो
मंजिल कुछ और नया हो!

जज्बा नया हो
जोश नया हो
उम्मीद नया हो
भविष्य की तस्वीर नया हो!!

हर दिन नई हो
हर रात नई हो
हर सुबह हर शाम नई हो
नव वर्ष(2017) की हर बात नई हो!!

Wish you all a very new year happy new year. Enjoy the newness by being new...discover new...and stay happily amazed with life and time😊

©Amitkumarpandey

Friday 11 November 2016

Friday 7 October 2016

अमृता !! The nectar

जिंदगी जब लेती है सिसकारियाँ
कोई आश बन पुकारती अमृता यहाँ !!
कहती है -
उदास मत हो जिंदगी से तुम यहाँ
हँस रही है तुम्ही से वो यहाँ !!
किस बात से निराश हुए जाते हो
तुम्ही से पलते हैं हर ख्याब यहाँ !!
क्यों तन्हाई में तुम जिंदगी को जी रहे
तुम्ही से  है  संसार में समाँ यहाँ !!
किस फिक्र में तुम खो रहे खुद को यहाँ
खुदा जो तुम अपने मर्ज़ी के इस जहाँ !!
किस भय से डरे हुए जाते हो तुम!
तुम्ही से छटता जब अँधेरा यहाँ !!
किस बात से परेशान हो तुम यहाँ
जब हर सवाल का स्वयं समाधान हो !!
"अमृत"नहीं सागर के गहराई में कहीं
छुपी है वो तुम्हारे ही बुराइयों में कहीं
मंथन नहीं किसी समुद्र का तुम्हें है करना
प्राणों में बह रही अमृत को तुम्हे  है खोजना
©Amit kr. Pandey

Friday 30 September 2016

56 inch

छप्पन इंची सीने पर गर्व बहुत आज होता है
भारत का नेतृत्व  कुछ ऐसा ही होता है !!

छप्पन इंची सीने की अब ताकत दिखाई देती है
कूटनीति और कूट देने की नीति में विजय दिखाई देती है !

छप्पन इंची सीने पर आज देश निछावर लगता है
कुछ ऐसे ही कारनामों से वीर वीर दिखाई देता है !!

छप्पन इंची सीने पर आज भरोसा आता है!
माँ भारती के हर बेटों का सीना चौड़ा लगता है !!

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