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Sunday, 8 May 2016

माँ

ममता हो जिसमें
संताप हर लेने की क्षमता हो जिसमें
"मेरा " कहके स्वीकार करें जो
माँ है वो!

देह धरने को जब कोई आत्मा अकुलाती है
माँ बनकर कोई उसे अपनी उदर में जगाती है
पीड़ा सहकर ,सेवा देकर
खुद से या खुदा से पहचान कराती है !

देती है शरीर
दुनिया में आने का मार्ग
श्वास श्वास पर
हे जननी ! तेरा है अधिकार !

धरती के  प्राणी हम
कितने  और मलिन होते
माँ (रूपी धन )से   ....
अगर ना सुशोभित होते!

ममत्व का बोध अगर
तेरी ममता से ना होती
ये दुनिया कब की खुद से लड़कर
खाक में मिल  गयी होती !!

जैसा है तू मेरा है
माँ! तेरा ये स्वीकार बहुत अद्भुत है
जीवन में आगे जूझने को
ये आधार बहुत अनुकूल है !!

©amitkumarpandey
Any body or thing which acts on behalf of a mother is equally a mother.....be it education.. wisdom..... wealth... the land...or be it our country...our culture...or our planet.... We in hindus....have ,out of respect and emotions ,worshipped motherhood in various forms...

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