भगवा शाम के स्वर्णिम सपने"
भगवा रंग में रँगी ये शाम,
मंदिर की छाया में गूंजे है राम राम।
आसमान में फैली ये सुनहरी धूप,
धरती पे उतरी जैसे रश्मिरथी पूत।
"दाना" ने भक्तिभाव से किया आने का सूचना प्रदान
भगवान् जगन्नाथ को किया स्वर्णिम आरती प्रणाम
भगवा ओढ़े बादल भी मंद चलते,
शांत हवाओं संग कोटि जनों के अरमान पलते।
सूरज का विदा होना भी है खास,
हर किरण में बसी है नई आस।
यह दृश्य कहे अनकही दास्तान,
साक्षी बने हैं धरती और आकाश।
भगवा शाम में चमके हैं तारे,
जैसे प्रकृति ने पहने हों सांचे सारे।
मंदिर की घंटियों में गुंजित है प्यार,
ध्यान का स्वर है, ईश्वर का सार।
इस भगवा आकाश का है अद्भुत नज़ारा,
हर हृदय में उठाता है भक्ति का धारा।
प्रकृति का आशीष, संध्या का ये गान,
भगवा शाम में रच रहा प्रेम का ,भक्ति का विधान।
Akp
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