क्या हुआ कि मन अकुलाया है ?
क्यों सब का मन घबराया है?
क्यों इतनी क्रंदन हुई ?
क्यों डर ने डाला डेरा है ?
क्यों मौत का कारोबार हुआ?
क्यों न्याय से बलात्कार हुआ ?
क्या हुआ कि ये आक्रोस हुआ?
क्यों जन मानस में इतना रोष हुआ?
क्यों इंसाफ़ की गुहार लगी ?
क्यों सड़कों पर कतार लगी?
क्यों सात समंदर पार लोगों की आवाज उठी?
क्यों सोशल media में सैलाब उठी?
उत्तर-
खोया एक सितारा भारत का
आया था मिट्टी से उठ कर
मुँह में नही थी चांदी की चमच
सँघर्ष ने किया था लालन पालन।
सपना था वह मिट्टी का
उठ कर दौड़े और उडे वो
सूर्य की भांति वो चमके
जो सपना उसने देखा औरों में भी वो भर दे !
सामंतवादी कब चाहता है
मिट्टी का कोई लाल उठे।
भ्रष्टाचारी कब चाहता
मेहनतकश इंसान उठे
अहंकार कब चाहता है
उसको कोई सवाल करे
सत्ता के मद में मतवाले को
उसके करतूतों का स्वाद मिले।
जिसने संघर्ष न देखा हो
काटों से न खेला हो
मन पर अंकुश रखेगा कैसे
धन सत्ता के मखमल पर
फिसलेगा न वो कैसे?
पर जिस भारत की मिट्टी में
राम का पौरुष खिलता हो
श्रीकृष्ण की न्याय कुशलता हो
मर्द मराठा शिवाजी का स्वराज का सपना जिंदा हो
उस भारत में आश अब भी है
उस भारत में विश्वास अब भी है
न्याय के लिए जीवट रहने की
उस में बाकी प्राण अब भी है।
छत्रपति शिवाजी का स्वराज
आज भी उम्मीदों में जिंदा है
छत्रपति शिवाजी का निर्भीक स्वाभिमान
आज भी रगों में जिंदा है।
सब खो कर भी स्वराज प्रिये जिन भरतवंशियों को
वही न्याय के लिए अकुलाया है।
स्वाभिमानी वीर मराठाओं ने भी
मिलकर गुंडागर्दी ताक़तों को ललकारा है।
आगे जीत सच्चाई की हो!
स्वराज का तिरंगा लहराता रहे
बेबाक जनमानस हो
मिट्टी के उम्मीदों को नई पंख लगे
असमय किसी सपनों का न मौत हो
न्याय की लौ न कभी कम हो
सिंघासन (System &institutions ) में विश्वास रहे।
धर्म (कानून) की सत्ता कायम रहे !
निर्भीक-आजाद जन जन हो!
स्वच्छन्द सभी का मन हो !
- धन्यवाद
#JustisceForSSR
स्वमीत - Being own friend. Exposure to the self @ THE AMIT OF TIMES !! We are nothing but manifestations of our thoughts.
Wednesday 19 August 2020
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