Friday, 10 April 2020

कोरोना की करुणा-विहीन अट्टाहश

मुर्दे पंक्तिबद्ध हुए है कब्रगाह में जाने को
जिंदा इंसान ,पर,मतवाला है मुर्दों में  सँगत पाने  को
बता बता सब थक गए, मिन्नते भी बेकार हुई
घर में तुम्हे बैठाने की अरबों की हानि भी हार गई।

जिंदगी थर थर कांप रही , कफनों में आंसूं पोछ रही
न्यूयॉर्क से लेकर इटली तक कि सड़के शमसान हुईं।
गंगा की तट पर भी अब आहट सुनाई देती है
कोरोना की करुणा-विहीन अट्टाहश सुनाई देती है।

इस विपदा ! इस दावानल को यहीं हमें रोकना होगा
भारत की तपोभूमि पर इसका वध करना होगा
जागो भारतवंशियों ! अपने इष्ट अपने ऋषियोँ का स्मरण करो
अपने अन्दर राम के धैर्य ,कृष्ण के योग ,महादेव के ध्यान का चिंतन करो।

स्थूल जगत में रुक जाना होगा,
स्वयं के अन्दर जाना होगा।
स्वच्छता अपनाना होगा,
थोड़ी कमी में जीवन को जूझाना होगा

इस प्रण को व्रत के जैसा निभाना होगा
हमें थोड़ा और अपने को कठोर बनाना होगा
अपने तपोबल से अभीष्ट को पाना होगा
जीवन के लौ को झंझावातों से बचाना होगा।
Saluting all who are collectively fighting corona terror !! 

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