Tuesday, 4 June 2024

Letter to Office Bearers of All Temples /Places of Worship across world for Invitation to Foster Knowledge and Innovation through a Competition Based on accomplishment of Sanatan Dharma Vedic and Upanishadic Wisdom

Dear Trustees of Temples in India and Worldwide, Respected Leaders of RSS, and Members of Vishal Hindu Parishad,

I hope this letter finds you in the best of health and spirits. I am writing to you with an earnest proposal aimed at enriching and revitalizing the profound heritage of Sanatan Dharma through the active engagement of young minds.

In the spirit of "Aham Brahmasmi," which boldly declares the unity and divinity of all beings, I propose the organization of an open competition, on the lines of Olympiads, focused on exploring and innovating ideas rooted in the Vedas and Upanishads. This competition should welcome participants from all backgrounds—regardless of caste, creed, religion, or nationality—thereby embodying the inclusive and universal essence of Sanatan Dharma.

**Objective of the Competition:**
1. **Discussion and Research:** Encourage young minds to delve into the vast knowledge of the Vedas and Upanishads, fostering a deeper understanding and appreciation of our ancient texts.
2. **Innovation:** Inspire innovative ideas and applications based on the teachings and principles of Sanatan Dharma.
3. **Inclusivity:** Promote the values of inclusiveness and unity by welcoming participants from diverse backgrounds.

**Structure and Implementation:**
1. **Categories:** The competition could be divided into various categories, including but not limited to, philosophical dissertations, practical applications, modern interpretations, and creative expressions.
2. **Eligibility:** Open to all individuals irrespective of caste, creed, religion, or nationality.
3. **Recognition and Awards:** Winners and good performers from across different communities will be honored with scholarships. This not only recognizes their talent but also supports their further education and research in this field.
4. **Role of Temples:** We urge all temples, big and small, to actively participate in promoting this competition, sharing knowledge, and creating platforms for young minds to connect with the soul of our religion. Each temple in India should conduct or collectively participate in such event. 

By fostering an environment where young minds can discuss, research, and innovate, we not only preserve our rich heritage but also adapt it to contemporary contexts, ensuring its relevance for future generations.

I request your esteemed support and participation in making this vision a reality. Together, let us nurture the intellectual and spiritual growth of our youth, rooted in the timeless wisdom of Sanatan Dharma.

Thank you for your time and consideration.

Warm regards,

Amit Kumar Pandey
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आदरणीय भारत और विश्व के मंदिरों के न्यासियों, आरएसएस के सम्मानित नेता, और विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों,

आशा है कि आप स्वस्थ और प्रसन्न हैं। मैं आपके समक्ष एक विनम्र प्रस्ताव लेकर आया हूं, जिसका उद्देश्य सनातन धर्म की समृद्ध धरोहर को सजीव और समृद्ध बनाना है, विशेष रूप से युवा मनों की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से।

"अहम् ब्रह्मास्मि" की भावना में, जो सभी प्राणियों की एकता और दिव्यता को साहसपूर्वक घोषित करती है, मैं वेदों और उपनिषदों पर आधारित विचारों की खोज और नवाचार पर केंद्रित एक खुली प्रतियोगिता के आयोजन का प्रस्ताव करता हूं, ओलंपियाड्स की तर्ज पर। यह प्रतियोगिता जाति, पंथ, धर्म या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना सभी पृष्ठभूमियों के प्रतिभागियों का स्वागत करेगी, इस प्रकार सनातन धर्म के समावेशी और सार्वभौमिक सार को मूर्त रूप देगी।

**प्रतियोगिता का उद्देश्य:**
1. **चर्चा और अनुसंधान:** युवा मनों को वेदों और उपनिषदों के विशाल ज्ञान में गहराई से उतरने के लिए प्रोत्साहित करना, जिससे हमारे प्राचीन ग्रंथों की गहरी समझ और सराहना हो सके।
2. **नवाचार:** सनातन धर्म की शिक्षाओं और सिद्धांतों पर आधारित नवीन विचारों और अनुप्रयोगों को प्रेरित करना।
3. **समावेशिता:** विविध पृष्ठभूमियों के प्रतिभागियों का स्वागत करके समावेश और एकता के मूल्यों को बढ़ावा देना।

**संरचना और कार्यान्वयन:**
1. **श्रेणियाँ:** प्रतियोगिता को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है, जिनमें दार्शनिक निबंध, व्यावहारिक अनुप्रयोग, आधुनिक व्याख्याएं, और रचनात्मक अभिव्यक्तियाँ शामिल हैं।
2. **योग्यता:** जाति, पंथ, धर्म या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना सभी व्यक्तियों के लिए खुली।
3. **मान्यता और पुरस्कार:** विभिन्न समुदायों के विजेताओं और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को छात्रवृत्तियों के साथ सम्मानित किया जाएगा। इससे न केवल उनकी प्रतिभा की पहचान होगी बल्कि इस क्षेत्र में उनकी आगे की शिक्षा और अनुसंधान का समर्थन भी मिलेगा।
4. **मंदिरों की भूमिका:** हम सभी छोटे और बड़े मंदिरों से आग्रह करते हैं कि वे इस प्रतियोगिता को बढ़ावा देने, ज्ञान साझा करने और युवा मनों को हमारे धर्म की आत्मा से जुड़ने के लिए मंच तैयार करने में सक्रिय भागीदारी करें। भारत के प्रत्येक मंदिर को इस प्रकार की घटना आयोजित करनी चाहिए या सामूहिक रूप से भाग लेना चाहिए।

ऐसा वातावरण बनाकर जहाँ युवा मन चर्चा कर सकते हैं, अनुसंधान कर सकते हैं और नवाचार कर सकते हैं, हम न केवल अपनी समृद्ध धरोहर को संरक्षित करते हैं बल्कि इसे समकालीन संदर्भों में भी ढालते हैं, जिससे इसकी प्रासंगिकता आने वाली पीढ़ियों के लिए सुनिश्चित हो सके।

मैं आपसे इस दृष्टि को वास्तविकता बनाने में सहयोग और भागीदारी का अनुरोध करता हूं। आइए हम मिलकर हमारी युवा पीढ़ी की बौद्धिक और आध्यात्मिक वृद्धि को पोषित करें, जो सनातन धर्म की कालातीत बुद्धि में निहित है।

आपके समय और विचार के लिए धन्यवाद।

सादर,

अमित कुमार पांडे


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