Tuesday, 31 December 2024

Happy New Year 2025

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
Happy New Year 2025

नव किरणों का सूरज लाया है,
उम्मीदों का नया सवेरा आया है।
सपनों को अब पंख लगाओ,
हर रेज़ोल्यूशन पूरा कर दिखाओ।

जो अधूरी रही बातें पुरानी,
उनमें नई जान भरनी है अबकी बारी।
स्वयं को पहचान, लक्ष्य बना,
हर मुश्किल को करना है आसान।

देश हमारा प्रगति के पथ पर चले,
हर दिल में उजाला, हर गली में खिले।
सुरक्षित हो हर घर, हर इंसान,
शांति और प्रेम का गूँजे गुणगान।

अपने हिस्से का दीप जलाएँ,
हर उपलब्धि से जीवन सजाएँ।
मंज़िलें बुला रही हैं हमें,
अब ना ठहरना, बस आगे बढ़ना है।

नववर्ष का ये संदेश महान,
लाए हर जीवन में सुख-शांति का गान।
सभी को अमित की ओर से शुभकामनाएँ,
हर दिन नई उम्मीदों से जगमगाएँ।


Warm Wishes for the New Year


A new dawn rises with a golden ray,
Bringing fresh hope to light the way.
Dreams now spread their wings to soar,
This year, achieve what you’ve wished for.

What was left undone, complete it now,
To every goal, take a solemn vow.
Find your strength, set your aim,
Overcome hurdles, play the game.

May our nation prosper and grow,
Peace and safety in every shadow.
Let every heart find love and care,
Harmony and kindness everywhere.

Light your flame, let your spirit shine,
Celebrate each victory, small or fine.
The path ahead is calling strong,
Keep moving forward, where you belong.

This New Year brings a message clear,
Of joy, success, and endless cheer.
From Amit to all, my heartfelt embrace,
May every day shine with hope and grace.




Regards
अमित कुमार पाण्डेय

Wednesday, 23 October 2024

भगवा शाम के स्वर्णिम सपने"

भगवा शाम के स्वर्णिम सपने"
भगवा रंग में रँगी ये शाम,
मंदिर की छाया में गूंजे है राम राम।
आसमान में फैली ये सुनहरी धूप,
धरती पे उतरी जैसे रश्मिरथी पूत।

"दाना" ने  भक्तिभाव से किया आने का सूचना प्रदान
 भगवान् जगन्नाथ को किया स्वर्णिम आरती प्रणाम 
भगवा ओढ़े बादल भी मंद चलते, 
शांत हवाओं संग कोटि जनों के अरमान पलते।

सूरज का विदा होना भी है खास,
हर किरण में बसी है नई आस।
यह दृश्य कहे अनकही दास्तान,
साक्षी बने हैं धरती और आकाश।

भगवा शाम में चमके हैं तारे,
जैसे प्रकृति ने पहने हों सांचे सारे।
मंदिर की घंटियों में गुंजित है प्यार,
ध्यान का स्वर है, ईश्वर का सार।

इस भगवा आकाश का है अद्भुत नज़ारा,
हर हृदय में उठाता है भक्ति का धारा।
प्रकृति का आशीष, संध्या का ये गान,
भगवा शाम में रच रहा प्रेम का  ,भक्ति का विधान।
जय भगवान जगन्नाथ 
Akp 

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